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भादर्श-ज्ञान द्वितीय खण्ड
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इतना केसर चढ़ाऊंगा। दूसरे ही दिन पूज्य श्रीलालजी इनके यहां गौचरी को आये और स्वरूपचन्दजी साहब ने अर्ज की कि गोड़ीचन्द के बहुत दिनों से तकलीफ़ है; पूज्यजी ने कहा कि नवकार की माला फेरा करो। उपरोक्त कारणों मे बीमारो चली गई। जिससे कि भंडारीजी का दूढ़ियों पर कुछ विश्वास जम गया; तद्यपि गोडीचन्दजी ने तो कह दिया कि मैंने श्री केसरियानाथजी की यात्रा बोली थी और उससे ही मेरा रोग गया है । आप आराम होने पर श्री केसरियानाथ की यात्रार्थ पधार कर यात्रा भी की थी। और केसर भी चढ़ाया। ____ भंडारियों की हवेली में ढूंढ़ियों का इतना प्रचार हो गया कि इस साल खास भंडारीजी ने अपने मकान में दंदिया साधु फूलचंदजी का चातुर्मास भी करवा दिया है और वे व्याख्यान सुनने को भी वहीं जाते हैं; तात्पर्य यह है कि स्वामी आत्माराम जी ने तो इनको अन्य मत में जाते हुए को बचाकर जैन रखा, और अब आपकी विद्यमानता में ये दूं दिया बन रहे हैं, इस पर आप ध्यान दिरावें । मुनिश्री ने कहा ठीक, मैं ध्यान रखूगा।
जब पहिले भाद्रव में पर्युषण का व्याख्यान शुरू हुआ तब भाद्रव कृष्ण ५४ को बड़ा व्याख्यान था, उस दिन भंडारियों की तमाम हवेलियाँवाले सब सरदार मुनिश्री के व्याख्यान में आये थे । मुनिश्री ने कल्पसत्र बाँचना तो बंद कर दिया, और नाडोल के राव दुद्धाजी आदि को आचार्य यशोभद्रसरि ने मांस-मदिरा छुड़वा कर जैन बनाये वे ही लोग भंडारी कहलाये तथा भंडारियों मे अच्छे २ धार्मिक कार्य किए, जिनका इतिहास सुना कर कहा कि एक तरफ तो हम ढूंढ़िया धर्म को असत्य समझ कर उनका