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श्रावकों को उत्तेजित करना लिख जनता में गलत फहमी फैलावे उस हालत में अपना फर्ज है कि उसका प्रतिकार कर दें वह मैं कर ही रहा हूँ फिर आप इस प्रकार क्लेश कुसम्प पैदा कर अपने और दूसरों के कर्मक्यों बंधाते हो इत्यादि। ___ रूपसुंदरजी ने उपकेश (कंवला) गच्छ के श्रावकों को उत्ते. जित किया कि खरतरगच्छ के श्रावक एवं साध्वियों गुरु महाराज को अपने गच्छ में लेने की बहुत कोशिश करते हैं गुरु महाराज साफ नहीं कहते हैं शायद वे लोग महाराज को बहका कर अपने गच्छ में न ले जाय अतः आप लोगों को कोशिश कर जाहिर करवा देना चाहिए कि यह दोनों साधु उपकेशगच्छ में हैं अतः सब की आशा तूट जाय । इत्यादि। ____ श्रावकों ने कहा महाराज आप व्यर्थ ही विचार करते हो हमें दृढ़ विश्वास है कि गुरु महाराज उपकेशगच्छ में हैं और रहेंगे। गुरु महाराज भले ही किसी को इन्कार नहीं करते हों पर इतने भोले नहीं है कि जिस प्रकार आप घतलाते हो । दूसरे योगिराजश्री ने आपको दोक्षा दी उस समय भी यही कहा था कि आप उपकेशगच्छ की क्रिया कर इस ज्येष्ठगच्छ का उद्धार करना । इत्यादि । ___ रूपसुंदरजी ने कहा आपका सब कहना सत्य है पर मुझे इन खरतरगच्छ वालों का विश्वास नहीं है अतः स्वयं गुरु महाराज पब्लिक में श्रीगौड़ी पार्श्वनाथ के मँदिर में सबकी समक्ष उपकेशगच्छ का वासक्षेप लेकर जाहिर कर दें कि हम उपकेशगन्छ में है फिर किसी को कोशिश करने की जरूरत न रहे । ____ श्रावकों ने कहा ठीक है हम समय मिलने पर गुरु महराज को अर्ज कर देंगे।