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भाव-ज्ञान द्वितीय खण्ड
३६० वे ले भी लेते हैं, अतः आप कष्ट न उठा हम लोग बाहार पानी ले आवेंगे।
मुनि०-फिर कहा कि, नहीं, मैं ले श्राऊंगा। . साध्वियें-खैर नजदीक के घरों से श्राप गौचरी ले आवें, पानी तो ठरा हुआ हम ले आवेंगे। ____ मुनि०-स्वीकृति तो नहीं दी किन्तु लिहाज के कारण इन्कार भी न कर सके अतः मौन रहकर श्राप पात्रा ले गोचरी के लिए चले गये और पीछे से साध्वीजी ने ठरे हुए पानी की एक मटोली लाकर रख दी, मुनिश्री गोचरी लेकर आये तो पानी की मटोली पड़ी देखी, आपने सोचा कि मैंने आज तक साध्वी का लाया हुआ आहार पानी नहीं किया है,किन्तु इस क्षेत्र में पहले पहल ही आना हुआ है, अब पानी लेने से इन्कार कर दिया जावेगा तो साध्वी जी अप्रसन्न होंगी तो न जाने इसका भविष्य में क्या नतीजा होगा अतः आपने सोचा कि साध्वीजी का लाया हुआ पानी थडिले मात्रे के काम में ले लेंगे इस विचार से रख लिया और आप स्वयं जाकर पीने के लिये पानी ले आये । फलौदी में खरतर गच्छ की साध्वियां तीन उपाश्रय में अलग अलग ठहरी हुई थीं उनके श्रा. पस में अनबन होने पर भी आपके व्याख्यान में सब आती थीं।
आहार पानी करने के पश्चात् करीब १बजे बहुत से श्रावक श्रा गये, और ज्ञानश्री वल्लभश्री आदि बहुतसी खरतरगच्छ की साध्वियाँ भी आ गई,श्रावकों में मूलचन्दजी गुलेच्छा, मूलचन्दजी नि माणी, रेखचन्दज़ीगोलेछा, फूलचन्दजीगोलेछा, मोतीलालजी माणक लालजी लीछमीलाल जो कोचर,शिवदानमलजी कानुंगा, रेखचन्दजी लोकड़, सुलतानचन्दजी जोगराजजी भतुजी वेद मेघराजजी मुनौत