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कण्ठस्थ सूत्र और बाँचना, याद थोकड़े करते थे । तप करने में शूरवीर फिर, उम्र विहार विचरते थे | वीसलपुर जोधांणे तींवरी, नयानगर में आये थे । मन्नालालजी आदि वहाँ पर उनके दिल ललचाये थे || ११ ॥
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पहला चौमासा किया सोजत में, राज कुँवर वहाँ आई थी। देकर के उपदेश आज्ञा का, पत्रिका लिखवाई थी ॥ करी नहीं मंजूर पूज्यवर फिर वीसलपुर आये थे । आज्ञा प्रदान कर दी माता ने, मुनि 'राज' के मनभाये थे ॥ १२ ॥ पीपाड़ होकर ये ब्यावर, अजमेर में दिया व्याख्यान । जयपुर हो पुनः टूक पधारे, माधुपुर पुगेँगा स्थान ॥ कोटा बूंदी व ढूंढाड़ देश में, दया धर्म का किया प्रचार | मांस मदिरा दुर्व्यसन छुड़ाये, पतितों का गुरु किया उद्धार ॥१३॥ आ रहे थे कोटे से जब, पहाड़ दरा का आया था । निर्जन अटवीप केले, सागारी अनसन ठाया था । उपसर्ग हुआ था प्राण हरण का, फिर भी नहीं घबराये थे । चहा-हा धैर्य कहां लों आपका, कायर सुन कंपाये थे ॥ १४॥ भानपुरे रामपुरे और जावद, नीमच निंबाड़ा गढ़चित्तोड़ | नया नगर से नागोर पधारे, पूज्य आज्ञा की थी यह दोड़े || बीकानेर जाकर पूज्य सेवा में, चौमासा वहाँ ठाया था । बीमारी जब पूज्य पैरों में, व्याख्यान ! आप फरमाया था ।। १५ ।। एकांतर छट छट की तपस्या, और अठाई तप किया । विनय व्यावच्च भक्ति करके, सूत्र वाँचना ज्ञान लिया ॥ कुटुम्ब आपका सब दर्शन को, बीकानेर में आया था । सुन कर के व्याख्यान आपका, अहो भाग्य मनाया था ||१६||