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आदर्श-ज्ञान द्वितीय वण्ड
३०८ (१) केवली जो समुध्धात करते हैं, वह की हुई होती है या स्वाभाविक ?
(२) भरत क्षेत्र में रहे हुए केवली समुद्घात करते हैं तो उनके आठ रूचक प्रदेश कहाँ पर रहते हैं ? .
इन प्रश्नों का उत्तर खास कृपाचन्द्रसूरि के हस्ताक्षरों से आया था, जिसमें आप लिखते हैं किः
(१) केवली जो समुद्धात करते हैं वह की हुई होती है । सूत्र में पाठ है कि 'करइ करइता' ।
(२) केवली जिस क्षेत्र में समुद्धात करते हैं, उनके रूचक प्रदेश उसी क्षेत्र में रहते हैं। ___ इसके प्रतिवाद के लिए मुनिश्री ने लिखा था कि:
(१) केवली समुद्धात की हुई होती है तो काया का योग प्रवृताने में असंख्य समय लगते हैं और केवली समुद्धात को केवल आठ समय ही लगते हैं। ऐसी दशा में उदारीक शरीर से समुद्घात को की हुई कैसा समझा जाय १ अर्थात् योगों से कृत कार्य पाठ समय में हो ही नहीं सकता।
(२) केवली जिस क्षेत्र में समुद्धात करे उसी क्षेत्र में यदि रूचक प्रदेश रहते हों तो वे सम्पर्ण लोक को कैसे पर सकते हैं ? क्योंकि लोक का मध्य भाग मेरुपर्वत के आठ रूचक प्रदेश के स्थान पर है । अतएव इन बातों को फिर विचारकर सूचित करावें । ___ कृपाचन्द्रसूरि ने यह लिख कर अपना पीछा छुड़ाया कि सूत्र के आशय गहन हैं । ऐसे प्रश्नोत्तरों का समाधान कभी रूबरू मिलने पर ही हो सकता है।
मुनिश्री ने दूसरा पत्र लिखा था तपागच्छीय आनन्दसागर