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________________ भादर्श-ज्ञान द्वितीय खण्ड २६८ लोढ़ाजी के निवेदन और आग्रह पर मुनिश्री ने एक दिन के लिये व्याख्यान की स्वीकृति देदी । ___ तत्पश्चात् श्रीमान् लोढ़ाजी ने ग्रामनिवासियोंको इस बात की सूचना देदी कि कल मुनिश्री गयवरचन्दजी का पब्लिक व्याख्यान होगा तथा इसके सम्बन्ध की समस्त तैयारियां कर दो। दूसरे दिन मुनिश्री का आम जनता में भाषण हुआ। भाषण का विषय था 'उन्नति' । मुनिश्री ने समाजोन्नति, धर्मोन्नति एवं आत्मोन्नति इन विषयों पर तीन घण्टे तक भाषण दिया। आपके भाषण से क्या जैन क्या जैनेतर सब लोग बड़े प्रभावित हुए एवं मंत्रमुग्ध बन गये । भाषण के पश्चात् श्रोताओं ने मुनिश्री से , प्रार्थना की कि आप कम से कम दो चार मास तक यहीं विराजें और हम लोगों को भाषणों द्वारा सद् उपदेश प्रदान करें। ____ मुनिश्री तो पहले ही ओसियां जाना निश्चय कर चुके थे। आपने उनसे कहा कि मेरा तोकल ओसियां की ओर विहार करने का इरादा है अतः मैं आप लोगों के आग्रह को स्वीकार करने में असमर्थ हूँ। किन्तु जनता कब मानने वाली थी उन्होंने आखिर मुनिश्री से केवल ४ दिवस ठहरने के लिये ही विशेष आग्रह और प्रार्थना की, तथा लूचकरणजी वगैरह के श्राग्रह से मुनिश्री ने चार दिन भाषण करने की और स्वीकृति दे दी। ___आपका दूसरा व्याख्यान 'धर्म' विषय पर हुआ इसी प्रकार तीसरा 'मनुष्य कर्तव्य' चौथा संगठन और अन्त में 'मैं अकेला क्यों तथा मेरी श्रद्धा में परिवर्तन कैसे हुआ ?' इस विषय
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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