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________________ आदर्श-ज्ञान २२० कावेंगे; किंतु आप अपनी प्रतिज्ञा पर पूर्ण पाबन्दी रखना । अगर चतुर्मास में ही रंग बदल गया तो मैं आपको सूचना कर दूंगा, आप चतुर्मास समाप्त होते ही रतलाम न जाकर मेरे पास आ जाना। शोभा०-ठीक है। ३१-१९७१ का चतुर्मास छोटी सादड़ी में शोभालालजी से मिलने के बाद दूसरे दिन ही हमारे चरित्रनायकजी ने नगरी से बिहार कर दिया । आप क्रमशः विहार करते हुए अषाढ़ कृष्ण ३ को सादड़ी पहुँचे। हमारे चरित्रनायकजी जब उदयपुर से बिहार कर रतलाम पधार रहे थे, तो उस समय मार्ग में आने वाले प्राम उठाड़ो, भीडर, कानोड़, बड़ी सादड़ी, और छोटी सादड़ी में आपके व्याख्यान हुए तथा थोड़े २ दिन इन प्रामों में ठहरना भी हुआ। छोटी सादड़ी वाले लोगों ने आपके आचार, व्यवहार तथा व्याख्यान पर मुग्ध हो आपका चतुर्मास के लिए पूज्यजी साहब से आग्रह पूर्वक विनती की थी, और अपने कार्य में सफल होने पर उन्होंने बड़ी भारी खुशी मनाई। सादड़ी के मूर्ति पूजक समुदाय में चन्दनमलजी नागौरी नामक एक अच्छे विद्वान् थे। अापक यहाँ एक पुस्तकालय (लाइब्रेरी ) था, जिसमें प्राचीन हस्तलिखित तथा मुद्रितसूत्र और प्रन्थों का अच्छा संग्रह था । जब सर्व प्रथम सादड़ी के स्थानक
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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