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२६-पूज्यजी का गुजरात से पाली पधारना
पूज्यजी महाराज दो चतुर्मास गुजरात में समाप्त कर, मारवाड़ पधार रहे थे। हमारे चरित्र नायकजी के गुरू मोड़ीरामजा महाराज भी पूज्यजी की सेवा में थे। जब आप अहमदाबाद से पालनपुर आये, तो मोड़ीरामजी महाराज ने अर्ज की कि आपको
आज्ञा हो तो हम आबू होकर मारवाड़ जावें, क्योंकि लोग कहते हैं कि आबू के जैन मन्दिर भारत में एक अनुपम दर्शनीय वस्तु हैं। ___ पूज्यजी महाराज ने कहा कि मोड़ीरामजी, आबू के मन्दिर तो मुझे भी देखना है, पर क्या किया जाय, मैं आबू जाऊँगा तो स्थानकवासी संसार में बिना ही कारण हलचल मच जायगी; अतएव इच्छा होते हुए भी मैं नहीं जा सकता हूँ। किन्तु तुम्हारे मैं अन्तराय देना नहीं चाहता हूँ, तुम खुशी से जाओ, पर लोक व्यवहार की ओर लक्ष्य रखना। बस, मोड़ीरामजी महाराज : अपने साथ ५ साधुआ को लेकर पालनपुर से खराड़ी आये और : वहाँ से आबू की तरफ बिहार कर दिया। जब आप चौकी पर पहुँचे, तो दिन बहुत चढ़ गया था। चौकी वालों ने गर्म पानी
और भात के लडुओं का आमन्त्रण किया। देलवाड़ दूर था, : आपने समय को जानकर वहाँ से आहार पानी लेकर कर लिया , और विहार कर देलवाड़े पहुँच गये। वहाँ धर्मशाला में ठहरे ; और बाद में आदीश्वरजी और नेमिनाथजी के मन्दिरों के दर्शन :