________________
भादर्श-ज्ञान
के पास गये, तो उन्हों ने पूछा, क्यों भाई वे बोल याद कर लिए ? जी हाँ। तो सुनादो । आपने ज्यों के त्यों सुना दिए । पूज्यजी ने सोचा कि इसकी बुद्धि तो खूब ही निर्मल है। उसी समय द्विगुणित बोल और दे दिए और कहा कि इनको सुबह आकर सुना देना । तथास्तु ।
दूसरे दिन फिर दम्पति पज्यजी के व्याख्यान में आये, पूज्यजी बड़े ही चतुर थे व्याख्यान में उसी आलोचना के विषय को खूब विस्तार से वर्णन किया । अन्त में यही कहा कि व्रत भंगकर अलोचना नहीं करता है वह अनंतकाल संसार में परिभ्रमण करता तो है ही पर फिर किसी भव में व्रत उदय नहीं आता है ।।
इस उपदेश ने तो हमारे चरित्र नायकजी पर और भी विशेष प्रभाव डाला, और आपने अपने मन में निश्चय कर लिया कि अब दीक्षा लिए बिना किसी प्रकार भी छुटकारा नहीं है किन्तु अभी इस बात को गुप्त रख कर दो मास तक तो ज्ञानाभ्यास करना ही अच्छा है।
___ आप ने अपनी धर्मपत्नी राजकुँवर से कहा कि पूज्यश्री का व्याख्यान बहुत अच्छा है और दीपमालिका तक दिसावर में कुछ आवश्यक कार्य भी नहीं है अतएव मेरी इच्छा है कि दीवाली तक यहीं ठहरें और पूज्यजी महाराज का व्याख्यान सुनें ।
स्त्रियां बिचारी हमेशा सफेद कपड़े के समान स्वच्छ हृदय वाली होती हैं; पूज्यजी का व्याख्यान राजकुँवर को प्रिय प्रतीत होता था, अतएव उसने कह दिया कि यदि आपकी इच्छा है तो मैं क्यों इन्कार करूं, दीवाली तक यहीं ठहर जाइये ।
बस, फिर तो था ही क्या,एक मकान किराये पर लेलिया और