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________________ २१ जन्म - आप अपनी छोटी उम्र में सामायिक प्रतिक्रमण, स्तवन, समाएँ और कई शास्त्रीय बोलचाल (थोकड़ा) कण्ठस्थ कर लिये थे। इस समय आपकी उम्र केवल १४ वर्ष की थी, पर मुताजी के सिर का भार आपने बिल्कुल हल्का कर दिया था, अर्थात् दूकान का व्यापार खरीदी तथा नावा-जमाखर्च अर्थात रोकड़ रोजनामा का कार्य आपने संभाल लिया था। - जब आपने तारुण्यावस्था में पदार्पण किया तो आपके विवाह के लिये अनेक स्थानों से प्रस्ताव आने लगे पर मुताजी ने पहले से ही निश्चय कर रखा था कि गयवरचंद की जब तक १८ वर्ष की उम्र न हो वहां तक विवाह का कार्य स्वीकार नहीं करना, पर कुटुम्ब वालों की आतुरता भी तो मुताजी के सामने मौजूद थी. और वे मुताजी को हर प्रकार से तंग कर रहे थे । - - ५-विवाह जब हमारे चरित्र नायकजी सत्रहवें वर्ष में पदापर्ण करते हैं तो उधर विवाह सम्बन्ध के लिए प्रस्तावों की भरमार मुताजी को खूब ही तंग कर देती है। आखिरकार मुताजी को अपने निश्चय को एक किनारे रख श्रीमन् भानुरामजी बागरेचा सेलावसवालों की सुयोग्य कन्या राजकुंवर के साथ गयवरचंद का सम्बन्ध करके वि. सं १९५४ के मंगसर मास के कृष्ण पक्ष की १० को अत्यन्त समारोह के साथ विवाह सम्पन्न करदिया,जैसे हमारे चरित्र
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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