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________________ * एक खमा इच्छा. दुक्खक्खओ कम्मक्खओ निमित्तं काउ करूँ ? इच्छं दुक्खक्खय कम्मक्खय निमित्तं करेमि काउ. अन्नत्थ संपूर्ण चार लोगस्स का काउ. ( चार थुईवाले लघु शांति) प्रगट लोगस्स । * खमा. इरियावहियं. तस्स. अन्नत्थ. एक लोगस्स का काउ प्रगट लोगस्स. चउक्कसाय. नमुत्थुणं. से जयवीयराय। फिर मुँहपत्ति पडिलेहन की विधि से सामायिक पारने की पूरी विधि करें। तिविहार उपवास का पच्चक्खाण सूरे उग्गए अब्भतट्टं पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि ) तिविहंपि आहारं, असणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि वत्तियागारेणं, पाणहार पोरसी, साढपोरसी, सूरे उग्गए पुरिमुड्ढ, अवड्ड, मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि) अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं. साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहि-वत्तियागारेणं पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अच्छेण वा, बहु लेवेणवा, ससित्थेण वा असित्थेण वा वोसिर । (वोसिरामि) चउविहार उपवास सूरे उग्गए अब्भत्तङ्कं पच्चक्खाइ ( पच्चक्खामि ) चउविहंपि आहारं असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ (वोसिरामि) नोट : दो उपवास का पच्चक्खाण लेना हो तो अब्भत्तट्ठे के बदले छट्टभत्तं बोलना। तीन उपवास का पच्चक्खाण लेना हो तो अब्भत्तट्ठे के बदले अट्ठभत्तं बोलना और आगे जितने उपवास पच्चक्खाण लेना हो उतना डबल करके दो जोड कर जितना भत्तं बनते है वो अब्भत्तङ्कं के बदले बोलना. उदाः चार उपवास का पच्चक्खाण लेना हो तो चार का डबल = 8 + 2 यानि दशम् भत्तं पच्चक्खाइ (पच्चक्खामि ) इस तरह बोलना । आज आपकी पत्नी क्या कहती है ? आर्य देश की स्त्री अपने पति से कहती थी कि जितना होगा उसमें चला लेंगे पर ज्यादा मौज शौक करने के लिए ज्यादा पैसे कमाने के लिए पाप मत करना।... आज आपकी पत्नी क्या कहती है ??? जरा सोचिए ...... 72
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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