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सा देवसिय प्रतिक्रमण विधि * प्रथम सामायिक लेकर मुँहपत्ति पडिलेहण, दो वांदणा देकर पच्चक्खाण। * एक खमा. चैत्यवंदन जंकिंचि.नमुत्थुणं, अरिहंत चेइयाणं. अन्नत्थ, एक नवकार काउ. पहली स्तुति,
लोगस्स, सव्वलोए, अरिहंत चेइयाणं, अन्नत्थ एक नवकार का काउ., दूसरी स्तुति, पुक्खरवर. सुअस्स भगवओ करेमि काउ. अन्नत्थ एक नवकार का काउ. तीसरी स्तुति, सिद्धाणं बुद्धाणं, (चार थुई वाले
वैयावच्चगराणं, एक नवकार का काउ. चौथी स्तुति) * नमुत्थुणं (चार थुई वाले मात्र नमुत्थुणं बोले) से जयवीयराय, एक-एक खमा. देते हुए भगवानहं,
आचार्यहं, उपाध्यायहं, सर्वसाधुहं बोलते हुए चरवले पर हाथ रखकर, इच्छा. देवसिअ पडिक्कमणे
ठाऊं? इच्छं. सव्वस्सवि देवसि। * करेमि भंते. इच्छामि ठामि. तस्स उत्तरी. अन्नत्थ. नाणंमि, सूत्र न आए तो आठ नवकार का काउ. प्रगट .. लोगस्से, मुँहपत्ति, दो वांदणा। * इच्छा. देवसिअ आलोउं? इच्छं, सात लाख पहले प्राणातिपात. सव्वस्सवि * दायाँ घुटना खड़ाकर, एक नवकार, करेमि भंते, इच्छामि पडिक्कमिउं, वंदित्तुं, दो वांदणा, अब्भुट्ठिओ,
दो वांदणा। * आयरिय उवज्झाय, करेमि भंते, इच्छामि ठामि, तस्स उत्तरी, अन्नत्थ, दो लोगस्स का काउ. प्रगट
लोगस्स, सव्वलोए अरिहंत चेइयाणं. अन्नत्थ. एक लोगस्स का काउ. पुक्खरवर, सुअस्स भगवओ करेमि काउ. अन्नत्थ, एक लोगस्स का काउ. सिद्धाणं-बुद्धाणं (चारथुई वाले सुअदेवयाए करेमि काउ. एक नवकार काउ. कमलदल की स्तुति. खित्तदेवयाए करेमि काउ. एक नवकार, काउ. यस्याः क्षेत्र की स्तुति, प्रगट नवकार।) मुँहपत्ति, दो वांदणा. सामायिक चउविसत्थो वंदण पडिक्कमण काउ. पच्चक्खाण किया है जी इच्छामो अणुसटुिं नमो खमासमणाणं तहत्ति, पुरुषों को नमोऽस्तु वर्धमानाय एवं स्त्रियों को संसार-दावानल। नमुत्थुणं, स्तवन, एक-एक खमा. देते हुए भगवानहं आचार्यहं उपाध्यायहं सर्वसाधुहं बोले अड्डाईज्जेसु। * इच्छा. देवसिअ पायच्छित्त विसोहणत्थं काउ. करूँ? इच्छं देवसिअ पायच्छित्त विसोहणत्थं करेमि काउ.
अन्नत्थ. चार लोगस्स का काउ. प्रगट लोगस्स। * एक खमा. इच्छा. सज्झाय संदिसाहुँ इच्छं, एक खमा. इच्छा. सज्झाय करूँ? इच्छं. एक नवकार.
सज्झाय. बोलकर एक नवकार।