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में उस बच्चे के आरोग्य संबंधी चिंता करने की जरुरत नहीं पड़ती। इसलिए उसने अपनी बेटी को छाती से लगाकर उसे भरपूर प्यार दिया। पुत्री के जन्म की खबर दिव्या के ससुराल में दी गई। तुरंत जयणा अपने पति और पुत्र के साथ दिव्या को मिलने हॉस्पीटल पहुँच गये। ___ जयणा ने दिव्या को माता के दूध की महत्ता बताते हुए कहा - माता के आधे लीटर दूध जितनी ताकत डेरी के सौ लीटर दूध में भी नहीं होती। स्तनपान कराने वाली माता यदि उस वक्त प्रसन्न हो तो बालक के तन और मन का विकास अच्छा होता है और स्तनपान कराते वक्त माँ यदि भयंकर क्रोध में हो तो वह दूध भी ज़हर बन जाता है। ___ माँ के दूध का कितना महत्त्व है सुनो - मित्र देश की रानी ने युद्ध में राजकुमार के पास सेना की मदद मांगी। राजकुमार राजमाता से इस बारे में पूछने आया। राजमाता ने कहा - तुम मुझे पूछने ही कैसे आये? तुम्हें तो तुरंत उनकी मदद के लिए दौड़ना चाहिए था। ऐसे विचार वाली राजमाता ने उदासी भरे स्वर में कहा “जब तू छोटा था तब एक बार तुझे दासी को सौंपकर मैं हौज में स्नान करने गई। एकाएक तू रोने लगा, तो दासी ने तूझे भूख लगी है, यह समझकर अपना स्तनपान कराया। अचानक मेरी नज़र उस तरफ गई। मैं हौज में से बाहर दौड़कर आई। मैंने तुझे उल्टा कर तेरे मुँह में ऊँगली डाली और दध की उल्टी करवाई। परंतु अब तेरी यह बुझदिल क्रिया देखकर मुझे ऐसा लगता है कि कम से कम आठदस बूंद दासी का दूध तेरे पेट में रह गया होगा। वर्ना तू ऐसी बात कभी न करता। आर्यदेश की सन्नारी माता अपनी संतान को कभी भी स्तनपान के सिवाय दूसरा दूध न देती और न ही दासी आदि का दूध पीने देती। क्योंकि ऐसा करने से बालक तन से दुर्बल और मन से कंगाल बन सकता है। इसलिए वर्तमान में पाश्चात्य संस्कृति की अंधी दौड़ में दौड़ रही सर्व माताओं ! अपनी दूध की कीमत जानकर अपनी संतान को स्तनपान करवाने से वंचित मत रहना।
अपनी सासुमाँ से मिली सीख के अनुसार दिव्या प्रसन्न मन से अपनी बेटी को समय-समय पर स्तनपान कराती लेकिन बोतल का दूध कभी नहीं पिलाती थी।
मोक्षा भी विवेक के साथ दिव्या एवं उसकी पुत्री को मिलने आई। नामकरण के दिन मोक्षा ने अपनी भत्रीजी का नाम 'क्षमा' रखा। साथ ही जैसे-जैसे क्षमा बड़ी हुई दिव्या उसे संस्कारी बनाने के लिए विशेष सावधान रहने लगी। अपनी पुत्री को संस्कारी बनाने के लिए उसने कई महान संस्कार दात्री माताओं को अपना आदर्श बनाया था। जिन्होंने अपने पुत्र को संस्कार देने में कोई कमी नहीं रखी थी।
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