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________________ स्कूल जाने लगा। तब तुम्हें खुशी हुई परंतु वह स्कूल का नाम लेकर कहीं और तो नहीं जाता? इसकी तुमने सावधानी रखी। बस इसी प्रकार तुम्हें बहू के विषय में करना था। तुम्हें उसे बाहर भेजना था पर बाहर वह खराब लोगों के संबंध में तो नहीं जा रही, इसका ध्यान तुम्हें रखना चाहिए था। तभी तुम सच्चे अर्थ में सासु से माँ बन सकती थी। परंतु तुमने तो उस पर पूरा ही नियंत्रण रख दिया। तुम्हारा आशय अच्छा था परंतु पद्धति बिलकुल गलत थी। फलस्वरुप तुम्हारा बेटा भी तुम्हारे हाथ से चला गया। (कुछ समय के लिए सुषमा सोच में पड़ गई।) जयणा : क्या सोच रही हो सुषमा ? क्या मैंने जो कहा उसे तुम स्वीकार करती हो? सुषमा : सचमुच, अब मुझे अपनी गलतियों का एहसास होने लगा है। अब मुझे ऐसा लग रहा है कि गलती खुशबू की नहीं मेरी है। अब मैं क्या करूँ ? खुशबू के दिल में मेरे प्रति जो परायेपन की भावना बैठ गई है उसे कैसे दूर करूँ? जयणा सगाई के बाद एक बार खुशबू ने मुझे कहा भी था कि मम्मीजी मैं आपके घर में आपकी बेटी बनकर रहना चाहती हूँ। मेरी कोशिश तो यही रहेगी कि मेरे आने के बाद आपको कभी भी डॉली की याद न आए। परंतु मेरे नियंत्रणों ने उसके सारे अरमानों को चूर-चूर कर दिया। जयणा : सुषमा तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया यही बहुत बड़ी बात है। सुषमा, जिस व्यक्ति से हमें अपेक्षा नहीं होती वह यदि हमें थोड़ा भी प्रेम दे तो हमें ज्यादा आनंद मिलता है। भाई, बहन, माँ, सहेली यहाँ तक की पति का ढेर सारा प्यार पाने के बाद भी यदि बहू को सासु का थोडा भी प्यार मिल जाए तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। फिर तो वह जहाँ जाती है। अपनी सासुमाँ की ही प्रशंसा करती है। ऐसी स्थिति में बेटा भी माँ के चरणों में ही रहता है। ससुराल में बहू के लिए पति से भी ज्यादा सासु उपयोगी बनती है। लेकिन यह बात समझने में आजकल की सासुएँ मार खा जाती है, सासुएँ बेटी से तो दिल से व्यवहार करती है और बहू के साथ व्यवहार करने में दिमाग का उपयोग करती है। सासुएँ यह नहीं सोचती कि बेटी तो एक दिन हमें छोड़कर ससुराल चली जाएँगी और हमें अपनी पूरी जिंदगी बहू के साथ ही गुजारनी है। अतः यदि वे बहू के साथ भी दिल से व्यवहार करें तो उनका घर खुशियों से भर जाएंगा। सुषमा : जयणा ! यह दिल और दिमाग का व्यवहार में कुछ समझी नहीं। जयणा : सुषमा ! मैं तुम्हें एक दृष्टांत से समझाती हूँ, तुम्हें जल्दी समझ में आ जाएँगा। दो सहेलियाँ मिली। तब एक ने पूछा, “बेटे की नयी-नयी शादी हुई है बहू कैसी हैं?" बहु का नाम सुनते ही चेहरा
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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