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(प्रिन्स की बात सुनकर खुशबू के चेहरे पर खुशी आ गई )
खुशबू : प्रिन्स ! पता है, मैं सुबह छः बजे उठती हूँ तो सीधे रात को 11 बजे आराम करने की बात आती है।
प्रिन्स : इतनी जल्दी तुम्हें क्या काम है? आराम से उठा करो ।
खुशबू : पर प्रिन्स यदि मैं नहीं उठूंगी तो आप को चाय कौन बनाकर देगा ? एक काम करो ना, आप चाय ऑफिस में पी लो तो ?
प्रिन्स : ठीक है। मुझे तो कोई प्रोब्लम नहीं है। मुझे तो चाय पीने से मतलब है। फिर मैं घर पर पीऊँ के ऑफिस में।
इस प्रकार खुशबू प्रिन्स को अपनी माँ के विरुद्ध भड़काने के प्रयास में सफल हो गई। देखने जाएँ तो यहाँ खुशबू की कोई गलती नहीं थी । मूल में तो सुषमा के टोकने की आदतों ने तथा उसकी शंकित दृष्टि ने ही खुशबू को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया था। सुषमा की यही आदतें उसके भविष्य को खतरे में डालने का काम कर रही थी, परंतु अपने अधिकार के मद में सुषमा यह नहीं जान पाई। दूसरे दिन आदित्य ने चाय के लिए सुषमा को उठाया। डायबिटीज तथा हार्ट प्रोब्लम के कारण आदित्य बाहर की चाय भी नहीं पी सकता था। गुस्से में सुषमा उठ तो गई, परंतु खुशबू के बाहर आते ही वह उस पर बरस पड़ी।
सुषमा : (गुस्से में ) खुशबू, तुम्हें कितनी बार समझाना पड़ेगा कि अब तुम किसी के घर की बहू हो ?
खुशबू : क्यों मम्मीजी ऐसा मैंने क्या कर दिया ?
सुषमा : क्या कर दिया ? लो मैं ही बता देती हूँ। क्या यह तुम्हारे उठने का टाईम है या फिर रुम की घड़ी बंद हो गई थी ? ऑफिस जाने वालों को चाय न मिलने पर लेट हो जाता है। इसलिए अब से समय पर उठने का ध्यान रखो।
खुशबू : सॉरी मम्मीजी, रोज 5-5 बजे उठकर मैं थक गई हूँ और वैसे भी प्रिन्स तो चाय ऑफिस में ही पीते हैं। तो मैं बिना वजह इतनी जल्दी उठकर क्या करूँ ?
सुषमा : खुशबू, भले ही प्रिन्स ऑफिस में चाय पीता हो लेकिन तुम्हारे ससुरजी का क्या? हार्ट प्रोब्लम होने से वे बाहर की चाय नहीं पी सकते ।
खुशबू : यह मेरी प्रोब्लम नहीं है मम्मीजी ! यह तो आप जानो और पापा जाने ।