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(खुशबू का ऐसा जवाब सुनकर सुषमा चौकन्नी रह गई । वह आगे कुछ बोल नहीं पाई। सुषमा को इस प्रकार खामोश देखकर खुशबू ने मौके का फायदा उठाते हुए कहा
खुशबू : और हाँ मम्मीजी ! प्रिन्स लेट आने के कारण हम अधिकतर रात को लेट ही खाना खाते हैं या फिर बाहर जाते हैं। इसलिए शाम को खाली आप और पापा का ही खाना बनता है । मुझसे दोदो बार खाना नहीं बनाया जाएँगा । इसलिए बेहतर यही होगा कि आप, आपके और पापा के लिए स्वयं ही खाना बना दें।
सुषमा : (डाँटते हुए ) खुशबू ! तुम इस घर की बहू हो, बहू की हदों में ही रहो। महारानी बनने की कोशिश मत करो।
खुशबू : आवाज़ धीमी रखिए मम्मीजी ! मैं कोई आपकी नौकरानी नहीं हूँ जो आपकी अँगुलिओं पर नाचती रहूँ। मेरी अपनी जिंदगी है, वह मैं जैसे चाहूँ जी सकती हूँ समझी आप।
(इतना कहकर खुशबू अपने कमरे में चली गई। खुशबू को पहली बार इतना बोलते देख सुषमा के आश्चर्य का पार नहीं रहा। उसके बाद तो आए दिन सासु- बहू के बीच बोलचाल होने लगी। पियर में कभी पैसे नहीं देखने के कारण करोड़पति ससुराल में खुशबू के खर्चे सातवें आसमान को छूने लगे और एक दिन-)
सुषमा : इतनी तैयार होकर कहाँ जा रही हो ?
खुशबू : मैंने मॉम को फोन किया था। उनकी तबियत ठीक नहीं है इसलिए मैं उनसे मिलने जा रही हूँ।
सुषमा : कहाँ से किया अपनी मॉम को फोन ?
खुशबू : टेन्शन मत लीजिए। आपके फोन से नहीं किया। प्रिन्स ने मुझे अब पर्सनल मोबाईल दे दिया है।
(सुषमा कुछ बोले उसके पहले प्रिन्स वहाँ आया)
प्रिन्स: अरे खुशबू ! तुम अब तक तैयार नहीं हुई। जल्दी करो । लेट हो जाएगा ।
सुषमा पर प्रिन्स घर में इतना काम है। आज जाना जरुरी थोड़े ही है। कल परसो चले जाना।
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प्रिन्स: मॉम! घर का काम तो जिंदगी भर चलता रहेगा । तो क्या यह कभी पियर नहीं जाएँगी ?
चलो खुशबू ।
(इतना कहकर प्रिन्स और खुशबू वहाँ से चले गये। सुषमा तो बस उन्हें देखती ही रह गई । प्रिन्स शब्दों पर तो उसे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था। प्रिन्स और खुशबू बाज़ार से कई
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द्वारा बोले