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________________ की सारी हदें पार कर दी। उसने खुशबू को कहीं भी बाहर भेजना बंद कर दिया। इतना ही नहीं जब सुषमा बाहर जाती तब घर के फोन को लॉक करके जाती ताकि खुशबू किसी से बात न करें। खुशबू केपियर से भी कभी फोन आता तो सुषमा पास ही खड़े रहकर सारी बातें सुनती। उसे कुछ भी पर्सनल बात करने नहीं देती और ना ही उसे अपने पियर भेजती । आजकल की बहुओं की तरह खुशबू ने कुछ दिन तो सब कुछ सहन किया। लेकिन धीरे-धीरे उसने भी अपना रंग दिखाना शुरु कर दिया। पहले तो वह सुषमा से डर-डर कर रहती थी। लेकिन रोज रोज सुषमा की टोक-टोक से उसने भी जवाब देना सीख लिया। उसने सोचा कि यदि मुझे इस घर में खुशी से रहना है तो मुझे सब से पहले प्रिन्स को अपने हाथ में लेना पड़ेगा। ऐसा सोचकर उसने अपने प्यार भरे व्यवहार से धीरे-धीरे प्रिन्स का दिल जीत लिया। एक दिन आदित्य - सुषमा किसी करीबी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे। उसी दिन खुशबू को थकान के कारण बुखार आ गया। रात में जब प्रिन्स ऑफिस से घर आया तब खुशबू को ओढ़कर सोया हुआ देख उसके पास गया प्रिन्स: अरे खुशबू ! तुम्हें तो तेज बुखार है, मॉम - डेड शादी से आए नहीं ? - खुशबू : नहीं। अभी तक नहीं आए है और कुछ कहकर भी नहीं गए कि कब तक आएँगे। प्रिन्स: खुशबू, मॉम-डेड घर पर नहीं थे और तुम्हें इतना तेज बुखार था तो मुझे एक फोन कर दिया होता। मैं ही डॉ. को लेकर घर आ जाता। खुशबू : (गुस्से में ) क्या खाक फोन करूँ ? आपकी मॉम बाहर जाती है, तो फोन को लॉक देकर जाती ताकि मैं किसी से बात न कर सकूँ । प्रिन्स: यह क्या कह रही हो तुम? क्या मॉम ऐसा करती है ? इम्पॉसिबल । खुशबू : तो क्या मैं झूठ बोल रही हूँ ? विश्वास नहीं होता तो जाकर देख लो। इतना ही नहीं मॉम घर पर हो और मेरे लिए कोई फोन आ जाए तब भी मुझे फोन नहीं देती और दे भी दे तो पास ही खड़ी रहती है। ताकि मैं कोई पर्सनल बात न करूँ। मेरा बाहर आना जाना बंद कर दिया है, यहाँ तक कि मैं पियर भी नहीं जा सकती ( इतना कहकर खुशबू रोने लगी । ) प्रिन्स : खुशबू ! इतनी सारी बात हो गई और तुमने मुझे बताया तक नहीं ? मॉम इतने जुल्म करती रही और तुम चुपचाप सहन करती रही ? बस, खुशबू ! अब मैं तुम्हारी आँखों में और आँसू नहीं देख सकता। यह लो मेरा मोबाईल | तुम जब चाहो, जिससे चाहो बात कर लेना । और हाँ ? अब से तुम्हें मॉम से डरने की जरुरत नहीं है। तुम्हें यदि कहीं जाना हो या कुछ भी चाहिए तो मुझे कहना । मैं अपने आप मॉम से बात करूँगा । 26
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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