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सीट हो या पार्लियामेन्ट की, चाहे लोकसभा की हो या विधान सभा की, हर क्षेत्र में स्त्रियों ने अपने कदम रख दिए हैं। आज की पढ़ी-लिखी स्त्री स्वतंत्र बन गई है। वह अपने आप को पुरुष से कम नहीं समझती। पुरुष के साथ टक्कर लेना उसके दायें हाथ का खेल बन गया है। परंतु पुरुष के कार्य जब से स्त्री ने शुरू किए है तब से दुनिया में एक नया ही विस्फोट हो गया है और इस विस्फोट के शिकार बने हुए है युवा दम्पति। कॉम्पिटीशन की भावना उनके जीवन को तहस-नहस कर देती है। विधि : (बीच में ही) लेकिन भाभी ! हम दोनों के बीच मनमुटाव का जब भी कोई प्रसंग बना तब और आज भी जहाँ तक मैं मानती हूँ, वहाँ तक न तो मेरे मन में कॉम्पिटीशन की कोई भावना थी और ना ही दक्ष के मन में। तो फिर हमारे झगड़े तलाक तक कैसे पहुँच गए ?
मोक्षा : विधि ! तुम अपने आपको ही देख लो, तुमने भी मुझे यही कहा था कि मैं एक फैशन डिज़ाईनर हूँ। नौकरी करके अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हूँ। अतः तुम्हारे मन में यही भावना है कि मैं भी दक्ष से कुछ कम नहीं हूँ। यानि यदि दक्ष तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध थोड़ा भी कुछ करे तो तुम्हारा अहं बोल उठता है कि मुझे उनकी कोई जरुरत नहीं है और इसके बाद तो जीवन में तनाव होना स्वाभाविक है। अतः इससे यह निश्चित होता है कि तुम भी इस स्पर्धा की बीमारी से ग्रस्त हो । बाकि क्षेत्रों में स्पर्धा इतनी हानिकारक नहीं है, परंतु स्त्री-पुरुष के बीच स्पर्धा की भावना के कारण अहंकार जागृत होता है। जिससे स्त्री पुरुष के तथा पुरुष स्त्री के कार्य करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। इससे परस्पर सहयोग की भावना का नाश होता है और नतीजा - जीवन में दुःख ।
प्रतिस्पर्धा की विचारधारा वाले ही यह स्त्री - पुरुष आगे जाकर शादी के पवित्र बंधन में बंधते है और वहाँ यदि थोड़े भी विचार भेद हो जाए तो सीधा अहंकार टकराता है। स्वतंत्र बनी नारी एक झटके में अपने जीवनसाथी को तलाक दे देती है। पूरा जीवन पुरुष के बिना व्यतीत करने के लिए तैयार हो जाती है। विधि : भाभी ! आज मुझे पता चला कि मेरी गलतफहमियों ने ही आज मुझे इस राह पर खड़ा किया है। जिसे मैं अपना अधिकार समझती थी आज मुझे पता चला कि वह वास्तव में अधिकार नहीं अपितु मेरा अहम् था। भाभी आपने बिलकुल सच कहा । मेरी मनःस्थिति भी कुछ ऐसी ही है मैं भी अपने अहं के कारण दक्ष को नीचा दिखाना चाहती हूँ। मैं उसे बताना चाहती हूँ कि मैं भी उसके सहारे बिना आराम से जी सकती हूँ। लेकिन आज मेरा यह अहं मेरी आँसुओं का कारण बन गया। भाभी ! अब आप इस अहं को तोड़ने का समाधान बताईए ।
मोक्षा : विधि ! सामान्यतः पुरुष स्वभाव से अहंकारी होते हैं, तथा स्त्रियों में सहनशीलता एवं प्रेम सहज रुप से होता है। इसका कारण यह होता है कि पुरुष दिमाग से जीते है तथा स्त्रियाँ दिल से । परंतु आज की परिस्थिति तो इसके विपरीत हो गई है। स्त्रियाँ अब दिल को छोड़कर दिमाग में चली गई है और जहाँ