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________________ हुआ प्रेम बढ़ने की बजाय घटता क्यों जाता है? शादी के पहले तो संबंध मात्र बातों तक ही रहते हैं। लेकिन शादी के बाद तो साथ साथ रहते हैं, एक दूसरे के उपयोगी बनते हैं। एक दूसरे का घर परिवार संभालते है। तो फिर प्रेम बढ़ने के बजाय घटता क्यों हैं? नई दुल्हन के हाथों की मेहँदी का रंग उतरने से पहले आपस में प्रेम का रंग उतरने लगता है। ऐसा ही कुछ मैंने अपने जीवन में अनुभव किया है। भाभी इन सबके पीछे का रहस्य क्या है? मोक्षा : विधि ! तुम्हारा प्रश्न भी छगन और लीली के जीवन के अनुरुप है सुनो ! मैं तुम्हें एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाती हूँ? छगन और लीली को एक दूसरे से प्यार हो गया। दोनों बगीचे में घूमने गए। बगीचे के सुहावने वातावरण का दोनों मज़ा ले रहे थे। इतने में छगन ने रास्ते पर काँटें देखे । तब उसने कहा - "अरे लीली ठहरो ! यह काँटे तुम्हें कही लग न जाये।” ऐसा कहकर छगन ने स्वयं वह काँटे हटाए | समय व्यतित हुआ और दोनों की शादी हुई। कुछ दिनों पश्चात् वे फिर उसी बगीचे में घूमने गये। घूमतेघूमते फिर उस काँटें वाले रास्ते पर पहुँच गए। तब छगन ने कहा "लीली ध्यान रखना आगे काँटे है। " कुछ वर्षों के बाद लीली माँ बनी और बच्चें के साथ वे लोग फिर उसी बगीचे में उसी रास्ते से गुजरे। अचानक काँटा लीली के पैर को चुभ जाने से वह चिल्लाई । तब गुस्से में आकर छगन ने कहा । "अंधी हो, दिखता नहीं है क्या?” यह कहानी भले ही हास्यास्पद है। परंतु इसके पीछे एक बहुत ही बड़ा रहस्य छिपा है और वह यह है कि शादी के पूर्व प्रेम कलरफूल होता है, शादी के बाद प्रेम ब्लेक ॲन्ड व्हाईट और बच्चा होने के बाद तो पिक्चर ही नहीं रहता । विधि : भाभी ! आपने जो बातें बताई वह सौ फिसदी सत्य है। लेकिन अब इन सबके पीछे क्या रहस्य है और उलझनों को कैसे सुलझाया जाये ? मोक्षा : धीरज रखो बता रही हूँ। देखो विधि। वैसे तो समस्या के कई कारण है लेकिन उसमें मुख्य कारण है कॉम्पिटीशन, अहं तथा भूल देखने की दृष्टि । विधि ! पुराने जमाने में तलाक के केसेस नहींवत् होते थे । अब इस हद तक बढ़ गए है कि मेहंदी का रंग न उतरे उसके पहले तो तलाक हो जाता है। इसका एक कारण है परस्पर कॉम्पिटीशन की भावना । पहले पुरुष के कार्य क्षेत्र अलग थे तथा स्त्री के कार्यक्षेत्र अलग थे। प्रायः पुरुष बाहरी कार्य संभालते थे। फिर वह बाहर का कोई भी कार्य हो चाहे वह धंधा करना हो या धान्य खरीदना हो, चाहे गहनें लाना हो या सब्जी लाना हो, सब कार्य पुरुष ही करते थे, तथा स्त्रियाँ घर संभालती थी। - परंतु आज की पढ़ी-लिखी स्त्री ने पुरुष के हर क्षेत्र में पैर पसार लिए है। फिर चाहे वह क्रिकेट का खेल हो या फूटबॉल का, चाहे वह एम. बी. ए. का कोर्स हो या एम. कॉम का, चाहे वह इंजिनियरींग का काम हो या डॉक्टरी का, चाहे वह कम्प्यूटर क्लास हो या ड्राईवींग क्लास, चाहे वह पायलेट की 171
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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