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________________ पाठशाला की गतिविधियाँ : जहाँ पाठशाला न हो वहाँ बताई गई पद्धति से नई पाठशाला खोले। पाठशाला में रत्नत्रयी की आराधना होती है एवं उस आराधना से विश्व के जीव मुक्ति सुख को पाएँ ऐसी भावना होने से पाठशाला 'श्री विश्वतारक रत्नत्रयी विद्या राजितं - जैन पाठशाला' अथवा दूसरा कोई उचित नाम भी रख सकते हैं। * पाठशाला का समय दोपहर 3 से 5 या शाम 6 से 8 बजे का रखें। * पाठशाला में आते ही सर्वप्रथम अपने विद्यागुरु को प्रणाम करें। फिर ज्ञान के पाँच खमा. देकर आसन बिछाकर बैठ जाये। पुस्तक को ठवणी पर ही रखें। * पाठशाला में पूर्णतया मौन रखें। * पाठशाला में सोमवार से शुक्रवार तक गाथा याद कराये एवं शनिवार को जनरल क्लास, रविवार को स्नात्रपूजा आदि रखें। * सुद पांचम, वद आठम, आदि पर्वतिथि के दिन प्रतिक्रमण का आयोजन रखें। . * प्रतिक्रमण में सूत्र बोलने वालों को ईनाम द्वारा प्रोत्साहित करें। * हर महिने एक मौखिक परीक्षा रखें। ताकि जितना पढ़ा हो वह पुनः स्वाध्याय हो जाएँ। * नियम कार्ड नित्य भराएँ एवं एक महिने के अंत में विशेष नियम पालन करनेवालों का बहुमान करें। * 4 महिने में एक लिखित परीक्षा रखें। * 4-6 महिने में एक बार विद्यार्थिओं को तीर्थयात्रा पर ले जाए। . । होली के दिन प्रातः 6-00 से दोपहर 3-00 बजे तक का विशेष आयोजन रखें। ताकि कोई होली न खेले। आयोजन के अन्तर्गत प्रातः 6 बजे स्नात्रपूजा, 8 से 8-30 अल्पाहार, 8-30 से 9-30 सामायिक जिसमें पढ़ाई कराएँ। 9-30 से 11 परीक्षा, 11 से 12 में कोई भी छोटी प्रतियोगिता, 12 से 1-30 तक भोजन, 1-30 से 2-30 तक खेल या अन्य प्रतियोगिता 2 30 से 3-00 बजे इनाम वितरण कर फिर घर भेजे। * दीपावली के समय फटाखे नहीं फोडने के नियम पत्रक बनाएँ और फटाखे नहीं फोडने वालों का विशेष बहुमान करें। * पर्युषण पर्व में पाठशाला का प्रतिक्रमण अलग ही आयोजित करें। * पर्युषण पर्व के चैत्यवंदन, स्तुति, स्तवन आदि एक महिने पहले से ही सिखा दे। इसी तरह अन्य पर्यों में भी कर सकते हैं।
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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