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सकती। श्रीसंघ के अग्रगण्य व्यक्ति पाठशाला में प्रतिदिन प्रभावना, लक्की ड्रो, परीक्षा के इनाम, कार्ड भरने का इनाम, तीर्थ यात्रा आदि के रुप में नई-नई ऐसी योजना बनाएँ। जिससे बच्चे टी.वी., विडियो गेम, खेल-कूद आदि सभी की ऐसी-तैसी करके भी पाठशाला आने के लिए मजबूर बन जाए। इसके साथ ही पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल के लिए बारह महीने की पुस्तकें, स्कूल बेग, टिफीन बॉक्स, पानी की बोतल, पेन, पेन्सिल, कलर बॉक्स आदि मुफ्त में बाँटे। जिससे उनमें पाठशाला आने का आकर्षण बना रहें और वे सम्यग् ज्ञान प्राप्त कर सके। सार इतना ही है कि श्रीसंघ के अग्रगण्य मुख्य व्यक्तियों को. पाठशाला का महत्त्व समझकर
अपने-अपने संघों में पाठशाला का निर्माण करवाना चाहिए। यदि पाठशाला है तो उसे और सुचारु रुप से चलाने के लिए नीचे बताई गई योजना एवं गतिविधियों को अमल में लाए। साथ ही अपने बच्चों को पाठशाला में भेजकर सुसंस्कृत बनाएँ। पाठशाला की स्थापना एवं योजना :
___ पाठशाला के महत्त्व को समझकर पाठशाला की स्थापना एवं उसे सुचारु रुप से चलाने के लिए निम्न योजना की जा सकती है।
सर्वप्रथम संघ के सन्मुख पाठशाला के महत्त्व को बताकर आर्थिक व्यवस्था की जाए। इसलिए मानो जहाँ 500 घर की बस्ती है वहाँ 11,001 रु. प्रतिमास के लाभार्थी के रुप में बारह मास के लाभार्थी तैयार करें। इन लाभार्थियों के नाम जहाँ पाठशाला चलती हो उस स्थान पर
अच्छे बेनर पर लिखवाकर (जिस प्रकार मंदिर में अष्ट प्रकारी पूजा के वार्षिक लाभार्थी के नाम लिखे जाते है वैसे) लगाएँ। इन 11,001 रु. का व्यय पाठशाला के गुरुजी के वेतन में एक महिने के नियम कार्ड भरने पर दिए जाने वाले इनाम में, मासिक मौखिक परीक्षा के इनाम में खर्च कर सकते हैं। साथ ही 360 दिन की 501 रु. की तिथि लिखवाएँ। ये तिथि कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों के जन्मदिन पर, अपने माता-पिता की पुण्यतिथि पर, अपनी शादी की सालगिरा आदि किसी भी सुअवसर के निमित्त लिखवा सकते हैं। साथ ही जिनका जन्मदिन अथवा सालगिरा हो उनके हाथों बच्चों को प्रभावना दिलाएँ। एवं उस वक्त पाठशाला के बच्चे उनके आराधनामय जीवन के लिए शुभकामना व्यक्त करें।
___ इस प्रकार से बच्चों का जन्मदिन मनाने पर बच्चों में ज्ञान की विशेष वृद्धि होती है। इन तिथियों के रुपयों का व्यय बच्चों को प्रभावना देने में तथा पाठशाला का वार्षिक महोत्सव मनाने में कर सकते हैं।