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प्र. स्तवन कैसे बोलने चाहिए? उ. पूर्वाचार्यों द्वारा रचित गंभीर एवं महान अर्थवाले स्तवन मधुर स्वर में बोलने चाहिए। __ प्रतिक्रमण करने वाले श्रावक को एक दिन में कितने चैत्यवंदन करने चाहिए? उ. प्रतिक्रमण करने वाले श्रावक को एक दिन में 7 चैत्यवंदन करने चाहिए, वे इस प्रकार हैं
सुबह के प्रतिक्रमण में : 2 (जगचिंतामणि एवं संसार दावानल अथवा विशाललोचन का) त्रिकाल मंदिर में : 3 चैत्यवंदन
शाम के प्रतिक्रमण में : 2 (शाम के प्रतिक्रमण का और अंत में चउक्कसाय का) प्र. देववंदन करने का समय क्या है? उ. कालवेला में त्रिकाल देववंदन करने का विधान है। प्र. कोई तप न किया हो तो देववंदन कर सकते हैं? उ. हाँ, प्रतिदिन त्रिकाल देववंदन करना ही चाहिए। समय का अभाव हो तो चैत्यवंदन भी कर सकते हैं। प्र. कभी बहुत प्यास लगने पर पोरसी से पानी पीया हो या एकासणा कर लिया हो तो दूसरा
देववंदन करना या नहीं? उ. पोरसी से पानी पी लिया हो या एकासणा कर लिया हो, फिर भी दोपहर की कालवेला में देववंदन
करना उचित हैं, ताकि विधि अधूरी न रहे। प्र. गुरु प्रतिमा के समक्ष देववंदन कर सकते हैं? उ नहीं कर सकते हैं। लेकिन गुरु प्रतिमा को स्थापनाचार्यजी समझकर कर सकते हैं।
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रत्न कणिका खुदका हो वह जाता नहिं, और जो जाय वह खुद का नहीं। ___यह गणित अगणित संकलेशों से उगार लेगा।
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