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________________ कितने समय तक निरंतर | कितने जीव कितने समय तक निरंतर | कितने जीव 8 समय तक 1 से 32 जीव 4 समय तक 73 से 84 जीव 7 समय तक 33 से 48 जीव 3 समय तक 85 से 96 जीव 6 समय तक 49 से 60 जीव | 2 समय तक 97 से 102 जीव 5 समय तक 61 से 72 जीव | 1 समय तक 103 से 108 जीव मनुष्य में से 1 समय में एक साथ कितने सिद्धि होते हैं ? उसका कोष्टक | उत्कृष्ट 500 धनु. की ऊँचाई वाले | 2 | कर्मभूमि में संहरण से पांडुक वन में से 2 | अवसर्पिणी के 1,2,3,6 आरे में संहरण से समुद्र में से 2 | उत्सर्पिणी के 1,2,4,5,6 आरे में संहरण से द्रह और नदियों से तीर्थ स्थापना से पूर्व 2 हाथ की ऊँचाई वाले | 1-1 विजय में से . ऊर्ध्वलोक में से अवसर्पिणी के 5 वें आरे मे नंदन, भद्रशाल, सोमनस वन में से तीर्थंकर सिद्ध पृथ्वी एवं अप्काय में से आये हुए अधोलोक में अधोग्राम से वनस्पति में से आये हुए 6 | तिर्छा लोक में से नरक में से आये हुए 6 | पुरुष में से पुरुष बनकर पुरुष में से आये हुए कर्मभूमि में से पुरुष में से स्त्री बनकर उत्सर्पिणी के तीसरे आरे में से पुरुष में से नपु. बनकर | अवसर्पिणी के चौथे आरे में से स्त्री में से पुरुष बनकर 10 | तीर्थ स्थापना के पश्चात् अकर्म भूमि में संहरण से 10 | देवगति में से आये हुए परभव में जाते समय जीव की गति जीव दो गति से परभव में जाता है : (1) अनुगति : मरण स्थान की समश्रेणी में यदि उत्पत्ति स्थान हो तो जीव एक समय में ही परभव में पहुँच जाता है। इस प्रकार समश्रेणी से गमन करना यह ऋजु गति है।
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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