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जम्बूद्वीप में
पूर्व धातकी खंड में
पश्चिम धातकी खण्ड में
दो ईषुकार पर्वत पर पूर्व पुष्करवर द्वीप में
पश्चिम पुष्करवर द्वीप में
दो ईषुकार पर्वत पर
दाईद्वीप में
नंदीश्वर द्वीप के
कुण्डल द्वीप की चार दिशा में
रुचक द्वीप की ४ दिशा में
कुल
तिर्च्छालोक में (कुल चैत्य)
3179
तिच्र्च्छा लोक में शाश्वत चैत्य
=635_ चै.
20
-635
-635
60
-2
-635
कुल
मानुषोत्तर पर्वत पर चार दिशा में -4 चै.
नन्दीश्वर द्वीप में सौधर्मेन्द्र
-635
की 8 एवं इशानेन्द्र की 8
कुल 16 इन्द्राणी की राजधानी में -16
-20 चै.
-2
-52 चै.
-4 चै.
-4 चै.
-60 चै.
= 1272 चै.
= 1272 चै.
= 3179
ये ढाई द्वीप के चैत्य
तीन दरवाज़े वाले होने से
120 प्रतिमा वाले है।
तीन दरवाज़े के
मध्य के
कुल प्रतिमाजी
381480
12 प्रतिमाजी
108 प्रतिमाजी
ये ढाई द्वीप के बाहर
120 प्रतिमा वाले चैत्य है
20x120=2400 प्रतिमाजी
1.20 प्रतिमा
3179x120=381480 प्रतिमाजी हैं।
दाई द्वीप के बाहर
ये चैत्य 4 दरवाज़े वाले
होने से 124 प्रतिमाजी वाले है । ( 60x124=7440 प्रतिमाजी
2400
7440
3259
391320
परन्तु
लवण समुद्र के वेलंधर एवं अनुवेलंधर पर्वत के शा. चै. भी तिर्च्छालोक में ही है, यहाँ पर विवक्षा नहीं की है।
उसकी