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________________ ढाई द्वीप के बाहर भमरा कानखजूरा शंख आठवाँ नंदीश्वर द्वीप अतिरमणीय है । इस द्वीप में स्थान-स्थान पर पद्मवर वेदिका, सर्वरत्न के उत्पाद पर्वत, सुंदर बावडियाँ, बगीचे आदि है। बाबन जिनमंदिर - इस द्वीप के चारों दिशाओं में अंजनरत्न के बने हुए अतिसुंदर 4 अंजनगिरि पर्वत है। एक-एक अंजनगिरि के चारों तरफ 4-4 गोलाकार वाली सुंदर बावडियाँ है। इन बावडियों के मध्य भाग में उल्टे प्याले के आकार वाले सफेद वर्ण के स्फटिक रत्न के दधिमुख पर्वत है। अर्थात् 4x4 = 16 दधिमुख पर्वत हुए। एक-एक दधिमुख पर्वत के दोनों तरफ एक - एक रतिकर पर्वत हैं। अर्थात् 16x2=32 रतिकर पर्वत हुए। 4 अंजनगिरि पर 1 योजन का भी होता है। 3 गाउ का भी होता है। 12 योजन माप वाले भी होते हैं। नंदीश्वर द्वीप के 52 जिनालय 4 शा. जिनालय हैं। 16 शा. जिनालय हैं। 32 शा. जिनालय हैं। कुल 52 शा. जिनालय हैं। तीर्थंकरों के कल्याणक के में अट्ठाई महोत्सव करते हैं तथा दिनों में एवं शाश्वती अट्ठाईयों में चारों निकाय के देव नंदीश्वर द्वीप नंदीश्वर द्वीप की चार विदिशा में 4-4 राजधानियाँ है। कुल 16 राजधानियों में 16 शाश्वत चैत्य है। ये राजधानियाँ 8 सौधर्मेन्द्र की पटरानियों की एवं 8 इशानेन्द्र की पटरानियों की हैं। - 16 दधिमुख पर्वत पर 32 रतिकर पर्वत पर
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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