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पुंडरिक पर्वत पहोलो कहीए, एंशी योजननुं मानजी, वीश कोडीशुं पांडव सिध्या, त्रण कोडीशुं रामजी |
शांब प्रद्युम्न साडी आठ कोडी, सिध्या दश कोडी वारीखिल्ल जाणोजी, पाँच कोडिशुं पुंडरिक गणधर, सकल जिननी वाणीजी.... ।। 2 ।।
सकल तीरथना एवळी राजा, श्री शत्रुंजय कहीएजी,
सात छट्ठ दोय अट्ठम करीने, अविचल पदवी लहीएजी । छःरीपाली नी यात्रा करता, केवल कमला वरिएजी, श्रुत सिद्धांत नो राजा कहीए, तीरथ हृदयमां धरीएजी....।।3।। सिद्धक्षेत्र शेत्रुंजो कहीए, श्री आदिश्वर रायजी, गौमुख ने चक्केश्वरी देवी, सेवे प्रभुना पायजी । शासन देवी समकितधारी, स्नात्र करे संभालीजी,
रंगविजय गुरु एणी पेरे बोले, मेरु विजय जयजयकारीजी... ।। 4 ।। पार्श्वनाथ स्तुति
पोष दशम दिन पास जिनेसर, जन्म्या वामामायजी, जन्ममहोत्सव सुरपति कीधो, वलीय विशेषे रायजी । छप्पन दिक्कुमारी हुलरायो, सुरनरकिन्नर गायोजी,
श्री अश्वसेन कुल कमला वतंसे, भानुउदय सम आयोजी..... ।। 1 ।।
पोष दशमी दिन आंबेल करिए, जिम भवसागर तरीयेजी, पास जिणंदनुं ध्यान धरंता, सुकृत भंडार भरिएजी। ऋषभादिक जिनवर चौवीसे, जे सेवो भवि भावेजी, शिवरमणी वरी निज घर बेठा, परमपद सोहावेजी ... ।। 2 ।।
केवल पामी त्रिगडे बेठा, पास जिनेश्वर साराजी,
मधुर गीराए देशना देवे, भविजन मन सुखकारीजी । दान - शीयल तप भावे आदरशे, ते तरशे संसारजी, आ भव परभव जिनवर जपतां, धर्म होशे आधारजी....।।3।।
सकल दिवसमा अधिको जाणी, दशमी दिन आराधोजी, तेवीसमो जिन मनमां ध्याता, आतम साधन साधोजी ।
धरणेन्द्र पद्मावती देवी, सेवा करे प्रभु आगेजी,
श्री हर्ष विजय गुरु चरण कमलनी, राजविजय सेवा मांगेजी.... ।। 4 ।।