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सीमंधर स्वामी चैत्यवंदन
समवसरणे बिराजता, सीमंधर स्वामी,
मधुर ध्वनि दिए देशना, वाणी सुधा समाणी.... ।। 1 ।। पर्षदा बेठी सांभले, वाणी नो विस्तार, सहु-सहु ना मनमां थयो, आनंद हर्ष अपार.....।।2।। जाति वैर शमाववा, प्रभु अतिशय अद्भुत, संशय सर्व ना टालीने, करे भवि ने पवित्र... ॥3॥ हुं निर्भागी रझलुं इहां, शा कीधा मैं पाप,
ज्ञान विनानी गोठडी, क्यां जई करुं विलाप ... ||4|| मात विना नो बालुडो अथडातो कुटातो, आव्यो छं तुज आगले, राखो तो करुं वातो .... ।। 5 ।।
क्रोड़ क्रोड़ वंदना माहरी, अवधारो जिनदेव मां निरंतर आपना, चरण कमल नी सेव....11611 सिद्धाचल चैत्यवंदन
सोना रुपाना फूलडे, सिद्धाचल वधावुं,
ध्यान धरी दादा तणु, आनंद मन मां लावुं ... ।। 1 ।।
पूजा ए पावन थया, अम मन निर्मल देह, रचना रचुं शुभभावथी, करुं कर्मनो छेह .... ।। 2 ।। अभवी ने दादा वेगळा, भवीने हियडे हजूर
तन-मन-ध्यान एक लगन थी, कीधां कर्म चकचूर... ।। 3 ।। कांकरे- कांकरे सिद्ध थया, सिद्ध अनंतनो ठाम, शाश्वत जिनवर पूजता, जीव पामे विश्राम.... ।।4।। दादा-दादा हुं करूं, दादा वसीया दूर,
द्रव्यथी दादा वेगळा, भावथी हैडे हजुर.... ।। 5 ।। दुःषम काले पूजता, इन्द्र धरी बहु प्यार, प्रतिमा ने वंदता, श्वास मांहे सौ वार... ।।6।। सुवर्ण गुफाए पूजता ए, रत्न प्रतिमा इन्द्र, ज्योति शुं ज्योति मिले, पूजे मली भवि सुखकंद...।।7।। ऋद्धि सिद्धि घेर संपजे, पहोंचे मननी आश, त्रिकरण शुद्धे पूजता, ज्ञान विमल प्रकाश...।।8।।