________________
हवे तुमचो शरणो साहियोजी, सूरि राजेन्द्र महाराज,
भव भयथी उद्धारजो रे, तारण तरण जहाज, सीमंधर जिन सुणीये....
....11511
शत्रुंजय स्तवन
(राग : ए मेरे प्यारे वतन ) विमलता प्रसरे सदा, विमलगिरि को देखता, मलिनता दूरे खसे, विमलगिरि को पेखता ।।1।।
पूर्व नव्वाणु समोसरे, रायण तले प्रभु आवता, इन्द्र चंद्र नागेन्द्र सब मिल, पाय प्रभु के सेवता || 2 || संघ सकल मिल आयके, आदि प्रभु गुण गावतां शुद्ध भाव से भक्ति कर, निज कर्म को संहारता ||3||
जन मन रंजन नाथ निरंजन, भक्तो गणो को तारता, दे दर्शन दान भावुक जन को, जन्म जरा भय वारता ।।4।। - तुम खजाने खुट नहीं प्रभु, इस अधम को उगारता, • तुज चरण सेवी निर्बलो पण, शिवपुरी को जावता ।। 5 ।।
विजय राजेन्द्र सूरीश को, यतीन्द्र वाचक वंदता, विद्यानि शुद्ध भावे, गिरिराज दर्शन पावता ||6|| शांतिनाथ भगवान स्तवन
ए तो शांति जिणंद बलिहारी, सुखकारी रे जिनेश्वर भेटिये शांति जिन भेट्या दुःख जावे, मन वांछित मंगल थावे, ए तो रिद्धी अचिंती आवे.... ।। 1 ।। जिनेश्वर भेटिये 2
प्रभु काउस्सग्ग मुद्रा ठाढे, गिरी मेरु अचल जिम गाढे, तप फोज करम दल काढे, ... II 2 II जिनेश्वर भेटिये 2 मनवांछित आशा पूरे, कोई देव और सनूरे,
मैं तो या जिणंद गुण पूरे... ।। 3 ।। जिनेश्वर भेटिये 2
मन भोले जग में भटक्यो, मिथ्यामति वेगलो छटक्यो, एक ध्यान जिणंद में अटक्यो.... ।। 4 ।। जिनेश्वर भेटिये 2
प्रभु तार तुहि बडभागी, अब और की आश न लागी, जिन चरण सेवा में मांगी....11511 जिनेश्वर भेटिये 2