SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौविसे जिनवर तणा ए, चैत्य इहा उतंग तो; वंदो भवियण भावशुं ए, पामो शीवसुख चंग तो...।।2।। द्रव्य भाव तीरथ कह्या ए, देखो जिन सिद्धांत तो; सूरि राजेन्द्र ना सूत्र ने ए, वंदो धरी मन खन्त तो... ।। 3 ।। शांतिनाथ जिन स्तुति शांति जिनेश्वर जग परमेश्वर, विश्वसेन रायनंदाजी, अचिरा जननी कुखथी जनम्या, चंद्र वदन सुख कंदाजी | ज्योति झगमग झगमग दीपे, अनुपम रुप सोहन्दाजी, सुर नर किन्नर मिलिनित वंदे, चउसठ सुरपति इन्दाजी... । । 1 । । शांतिकर जग शांति प्रभुजी संजम धर वैरागीजी, केवल पामी समवसरण में बैठे, कर्मभय त्यागीजी । मधुर ध्वनि उपदेश दई प्रभु, अनुभव ज्योति जागीजी, पर्षदा द्वादश सुणता भविनी, भवभय भावठ भांगीजी ... ।। 2 ।। सूत्र सिद्धांत में तेह वखाण्या, सोलमा जिन जयवंताजी, सम्मेत शिखर ऊपर जइ सिद्धा, करी अनशन गुणवंताजी । सूरीश्वर राजेन्द्र पसाया, भयभंजन भगवंताजी, नितप्रति अमृतमुनि वंदे, टाले कर्म का फंदाजी....।।3।। सीमंधर स्वामी स्तवन ( राग : सोनामां सुगंध भले ) सहु जीवाने तारवाजी, तारण तरण जहाज, आप सरुपी आप छो जी, विनंती तुमथी आज, सीमंधर जिन सुणीये मुज अरदास....।।1।। हुं हुं दीन दयामणोजी, तुम छो दीन दयाल, निगोद पीड़ा में सही जी, तुम जाणो निरधार... सीमंधर जिन सुणीये...।।2।। जन्म मरणना दुःख सह्याजी, तेहनो नहीं छे पार, अनंत वार मात पिताजी, थाते न थाये आधार, सीमंधर जिन सुणीये... ।। 3 ।। सुख जाणी जे जे आचर्याजी, ते सहु दुःख थया स्वाम, विषय विशेष विष थयो जी, अरति तणो विसराम, सीमंधर जिन सुणीये.....।। 4 ।।
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy