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यह तो हुई सर्व साधारण हिन्दी जैन साहित्य की बात । फिर यहाँ पर हमारा सीधा नाता कृष्ण-काव्य के साथ है । अतः हम उसकी बात लेकर चलें। (२) हिन्दी जैन कृष्ण-साहित्य (कालक्रमानुसार सूची तथा
विस्तृत कृति परिचय) हिन्दी में कृष्ण-चरित से संबंधित दो प्रकार की कृतियाँ उपलब्ध हैं - विशालकाय काव्य कृतियाँ जो मूलतः संस्कृत ग्रन्थों यथा - जिनसेनाचार्य कृत हरिवंश पुराण गुणभद्राचार्य कृत उत्तर पुराण (महापुराण) तथा हेमचन्द्राचार्य कृत "त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित के अनुकरण पर रची गई हैं, इन कृतियों में कृष्ण-चरित का सम्पूर्ण वर्णन है, साथ ही परम्परागत अन्य शलाका पुरुषों का भी उक्त कृतियों के अनुकरण पर वर्णन हुआ है । ये कृतियाँ हैं - शालिवाहन कृत हरिवंश पुराण, खुशालचन्द काला कृत हरिवंश पुराण, एवं उत्तर पुराण', मुनि चोथमलजी कृत भगवान नेमिनाथ और पुरुषोत्तम
कृष्ण आदि । (२) · लघु काव्य कृतियाँ जो रास, प्रबन्ध, चौपाई, फागु, बेलि, चरित आदि
संज्ञक हैं । ये कृतियाँ नेमिनाथ, गजसुकुमाल, प्रद्युम्न, बलराम, पाण्डवगण आदि से संबंधित हैं और इनमें कृष्ण-चरित का प्रसंगानुकूल वर्णन आवश्यक रूप में हुआ है । इन कृतियों के रचयिताओं ने आगम ग्रन्थों तथा संस्कृत के पुराण व चरित ग्रन्थों से अपने कथानक चुने हैं और इनको आधार बनाकर अपनी कृतियाँ प्रस्तुत की हैं । इस तरह की अनेक कृतियाँ उपलब्ध हैं । यथा प्रद्युम्न चरित (सधारू कवि), नेमिनाथ फागु (जयशेखर सूरि), बलभद्र चौपाई (कवि यशोधर) गजसुकुमार रास (कवि देल्हण) आदि ।
कृष्ण विषयक विभिन्न हिन्दी जैन रचनाओं का परिचय हम कालक्रमानुसार नीचे दे रहे हैं । हिन्दी जैन साहित्य में अनेक कृष्ण-विषयक रचनाएँ हैं । जैन कवियों में नेमिनाथ का चित्रण अत्यन्त रुढ़ और प्रिय विषय था और कृष्ण-चरित उसी का एक अंश होने से हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण-काव्यों की कोई कमी नहीं है । यहाँ पर एक सामान्य परिचय देने की दृष्टि से कुछ प्रमुख हिन्दी जैन कवियों की कृष्ण-विषयक रचनाओं का विवेचन और कुछ विशिष्ट अंश प्रस्तुत किये हैं।
हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वस्प-विकास • 83