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________________ प्रभावित होकर श्रीकृष्ण के बाल-गोपाल स्वरूप का वर्णन अपने हरिवंश पुराण में किया था । प्रस्तुत अध्याय में मैंने प्रथम हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण-विषयक रचनाओं का स्वरूप, इयत्ता, प्रकार और महत्त्व कैसा था, यह समझाने के लिए सबसे पहले इस साहित्य से संबंधित कुछ सर्वसाधारण और प्रास्ताविक तथ्यों का वर्णन किया है । इसके उपरान्त इस साहित्य से संबंधित प्रमुख कृतियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया है जिनमें प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से श्रीकृष्णचरित्र का वर्णन हुआ है । इसके उपरान्त शालिवाहन कृत हरिवंश पुराण तथा खुशालचन्द काला कृत हरिवंश पुराण में वर्णित श्रीकृष्ण के बालगोपाल स्वरूप का, शलाका पुरुष का तथा आध्यात्मिक स्वरूप का अध्ययन प्रस्तुत किया है। उपरोक्त वर्णनों में मैंने श्रीकृष्ण के स्वरूप से संबंधित प्रत्यक्ष तथा परोक्ष दोनों प्रकार की रचनाओं की सहायता ली है । श्रीकृष्ण का प्रथम स्वरूप जो हमारे सामने आता है वह है उनका बाल-गोपाल रूप । यह उनके परंपरागत व्यक्तित्व से कुछ भिन्न है । कृष्ण के इस स्वरूप पर वैष्णव परंपरा तथा संस्कृत हरिवंश पुराण का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है । इन दोनों का प्रभाव अपभ्रंश व हिन्दी जैन काव्य कृतियों में दृष्टव्य है । इन कृतियों में नटखट ग्वाल-बालक के रूप में दानों में कुण्डल पहनने, पीताम्बर धारण करने, मुकुट लगाने, बाँसुरी बजाने आदि का तथ्यात्मक वर्णन हुआ है I द्वितीय श्रीकृष्ण एक अर्धचक्रवर्ती तथा राजा के रूप में, एक महान वीर, अद्वितीय पराक्रमी तथा शक्तिसामर्थ्य से परिपूर्ण अद्वितीय शलाकापुरुष थे । भारतभूमि के राजाओं में वे अग्रणी थे । अपनी बुद्धि कौशल और वीरता के बल पर कृष्ण आधे भरत क्षेत्र के अधिपति अभिसिक्त हुए और उन्हें वासुदेव के रूप में मान्यता मिली । कृष्ण का तृतीय स्वरूप एक धर्म-निष्ठ आदर्श राजपुरुष के रूप में वर्णित है, जिनका अरिहंत अरिष्टनेमि एवं उनके धार्मिक सिद्धातों के प्रति श्रद्धाभाव था । मैंने अपने इस अनुशीलन में कृष्ण के तीनों रूपों को अनेक उदाहरण देकर स्पष्ट किया है । इसीके साथ हिन्दी साहित्य के परंपरागत स्वरूपवर्णन को भी प्रस्तुत किया गया है। हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास 73
SR No.002435
Book TitleHindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1992
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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