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________________ तृतीय अध्याय हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप वर्णन भूमिकाः पिछले अध्याय में हम देख चुके हैं कि हिन्दी भाषा में कृष्ण के विभिन्न स्वरूपों से संबंधित साहित्य के विपुल विस्तार की पृष्ठभूमि में मुख्य रूप से संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश साहित्य ही है । कालान्तर में इसी साहित्य को आधार बनाकर हिन्दी जैन कृष्ण-साहित्य की रचना की गई । किन्तु जहाँ भक्त और उपासकों ने कृष्ण के मानवीय स्वरूप का वर्णन भाव विभोर होकर किया है, वहीं साहित्यकारों ने इन सम्बन्धों का सहारा लेते हुए उत्कृष्ट प्रकार की सर्जनाएँ प्रस्तुत की हैं । कृष्ण का जो स्वरूप इन रचनाओं में प्रकट होता है, उसमें उनके चरम सौन्दर्य, चरम प्रतिभा, अकल्पनीय लीला एवं असीम शक्ति विद्यमान मिलती हैं। हिन्दी जैन कृष्ण-साहित्य के स्रोत-ग्रन्थ, आगम आगमेतर कृष्ण स्वरूप वर्णन के प्रमुख स्रोत रहे हैं। जैनागम-साहित्य प्राकत भाषा में निबद्ध है । यह साहित्य मूलतः सिद्धान्त-निरूपण से संबंधित है । सिद्धान्त-निरूपण की एक शैली के रूप में कथा-कहानियों तथा व्यक्ति-चरितों का उपयोग हुआ है । कृष्ण-चरित के विविध प्रसंगों का सन्दर्भानुसार इस दृष्टि से विभिन्न आगमिक कृतियों में वर्णन हुआ है । इस वर्णन में एक श्रेष्ठ पुरुष एवं द्वारका के महान शक्ति सम्पन्न, ऐश्वर्यमान राजा के रूप में कृष्ण का यशोगान हुआ है । शलाका (उत्तम) पुरुष वासुदेव के रूप में उनकी विशेषताओं, उत्तम लक्षणों, उनके विशिष्ट व्यक्तित्व-स्वरूप का चित्रण हुआ है । कृष्णकथा के अवान्तर प्रसंगों एवं कृष्ण के जीवन की घटनाओं का अलग-अलग सन्दर्भो में वर्णन हुआ है। इसी प्रकार आगमेतर साहित्य में कृष्ण-चरित विषयक दो प्रकार की कृतियाँ उपलब्ध होती हैं । एक वे कृतियाँ हैं, जिनमें सामूहिक रूप से श्रेष्ठ . पुरुषों का चरित-वर्णन किया गया है । ऐसी कृतियों में परंपरागत मान्यतानुसार शलाकापुरुषों का चरित वर्णन है । इनमें अन्य शलाकापुरुषों के चरित-वर्णन के साथ-साथ शलाकापुरुष कृष्ण वासुदेव का भी चरितवर्णन हुआ है । ऐसी कृतियाँ महापुराण या श्रेष्ठ शलाकापुरुष चरित शीर्षक से हैं । इसके अतिरिक्त हरिवंश पुराण' शीर्षक से भी कतिपय कृतियाँ हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास . 71
SR No.002435
Book TitleHindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1992
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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