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________________ जीवयशा ने जिज्ञासा प्रस्तुत की कि, "द्वारका नगरी कहाँ है ? उसके राजा कौन हैं ?" व्यापारीने कहा द्वारका समुद्र के किनारे है और वहाँ पर वसुदेव के पुत्र श्रीकृष्ण राज्य कर रहे हैं । उनके भाई बलराम हैं । नगरी क्या है, स्वर्ग की अलकापुरी है । यह सुनते ही जीवयशा चौंकी । उसके आश्चर्य का पार न रहा । क्या मेरे पति कंस को मारनेवाला श्रीकृष्ण अभी तक जीवित है ? वह मरा नहीं ? वह रोने लगी तो जरासंध ने कहा- पुत्री रो मत । मैं अभी जाता हूँ और यादव कुल का समूल नाश कर देता हूँ। यह आश्वासन देकर और विराट सेना लेकर जरासंध युद्ध के लिए प्रस्थित हुआ। अपशुकन होने पर भी वह आगे बढ़ता रहा। (ख) जैनों के उत्तर पुराण के अनुसार यह कथा इस प्रकार है - ___कुछ व्यापारी जलमार्ग से व्यापार करते हुए भूल से द्वारवती नगरी पहुँचे । वहाँ की विभूति को निहार कर वे आश्चर्य चक्ति हुए, उन्होंने द्वारवती नगरी से बहुत से श्रेष्ठ रन खरीदे और उन्होंने वे रत्न राजगृह नगरी में जरासंध को अर्पित किये । बहुमूल्य रत्नों को देखकर जरासंध ने चकित होकर पूछा-कहाँ से लाये ? उन्होंने द्वारवती का विस्तार से वर्णन किया । (ग) जैन हरिवंशपुराण के अनुसार जरासंध राजा के पास अमूल्य मणिराशियों के विक्रयार्थ एक वणिक पहुँचा ।२ । - (घ) शुभचन्द्राचार्य प्रणित पाण्डवपुराण में एक समय किसी विद्वान पुरुष ने राजगृहनगर पहुंचकर जरासंध राजा को उत्तम रल अर्पित किये । राजा के पूछने पर उसने बताया कि मैं द्वारकापुरी से आया हूँ । वहाँ भगवान नेमिनाथ के साथ कृष्ण राज्य करते हैं । इस प्रकार उसके कथन से द्वारका में यादवों के स्थित होने के समाचार को जान करके जरासंध को उन पर बहुत ही क्रोध हुआ । वह उन पर आक्रमण करने की तैयारी करने लगा। (ड) खुशालचन्द काला ने हिन्दी हरिवंशपुराण में लिखा है-जरासंध विराटसेना लेकर युद्ध के लिए आ रहा है, नारद से यह समाचार जानकर श्रीकृष्ण ने नेमिकुमार से अपनी विजय के सम्बन्ध में पूछा । नेमीश्वर ने १- उत्तरपुराणः ७१/५२-६४, पृ० ३७८-३७९ । २- हरिवंश पुराण ५०-१-८ । ३- पाण्डव पुराण –१९/८/११, पृ० ३९० । 62 • हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास
SR No.002435
Book TitleHindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1992
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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