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पर गिर पड़ा । इस प्रकार श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया । (ट) महाभारत का युद्ध- .
महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों का युद्ध था । उस युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सारथी का कार्य किया । किन्तु स्वंय ने युद्ध नहीं किया । उस युद्ध का विस्तृत वर्णन महाभारत, पाण्डव चरित्र आदि में किया गया है । महान योद्धा और वीर भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण, अभिमन्यु, दुर्योधन, और अनेक वीरों का उस युद्ध में संहार हुआ।
आचार्य शीलांक ने महाभारत का उल्लेख नहीं किया, “चउप्पन महापुरिस चरिय२ में कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र ने त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र में, आचार्य मल्लधारी हेमचन्द्र ने भव-भावना में, तथा अन्य कितने ही जैन ग्रन्थों में भी, महाभारत के युद्ध का वर्णन नहीं है । कितने ही लेखकों ने जरासंध के साथ युद्ध एवं महाभारत युद्ध को एक मानकर ही वर्णन किया है।
देवप्रभसूरि के पाण्डव चरित्र के अनुसार कौरवों और पाण्डवों. का युद्ध जरासंध के युद्ध से पूर्व हुआ था । कौरव-पाण्डव-युद्ध में जरासंध दुर्योधन के पक्ष में आया था, किन्तु उसने लड़ाई में भाग नहीं लिया था । कौरवपाण्डवों का युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था । और जरासंध के साथ कृष्ण का युद्ध द्वारका से पैंतालीस योजन दूर सेनपल्ली में हुआ था ।" दिगम्बर आचार्य जिनसेन ने हरिवंशपुराण में तथा इनके आधार पर हिन्दी में रचित शालिवाहन कृत हरिवंशपुराण एवं खुशालचन्द काला कृत हरिवंशपुराण में तथा दिगम्बर आचार्य शुभचन्द्र ने पाण्डवपुराण में जरासंध के युद्ध को और कौरव-पाण्डवों के युद्ध को एक माना है । जरासंध का वह युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ बताया गया है । उसी युद्ध में श्रीकृष्ण जरासंध को * महाभारतः सभापर्व, अ० ४५, श्लोक २४-२६ । २- पाण्डव चरित्र - देवप्रभसूरी - अनुवाद सर्ग १२, पृ० ३८० । ३- अ० ४९-५०-५१, पृ० १८७-१९० । ४- पर्व ८। ५- भव-भावना । ६- पाण्डव चरित्र-सर्ग। ३, पृ० ३९१ । ७- (क) त्रिषष्टि० ८/७/१९६ ।।
(ख) चउप्पन महापुरिस चरियं, पृ० १८६ ८- (क) हरिवंशपुराण, सर्ग ५०, पृ. ५८७ ।
(ख) हरिवंशपुराण, खुशालचन्द काला, सन्धि २५, पृ० १८५- १९० ।
60 • हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास .