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________________ बनाकर आयी । चोंच द्वारा प्रहार कर बालक कृष्ण को मारने का प्रयत्न करने लगी, परन्तु कृष्ण ने उसकी चोंच पकड़कर इतने जोर से दबाई कि वह भयभीत हो प्रचण्ड शब्द करती हुई भाग गई । दूसरी देवी प्रपूतन भूत का रूप धारण कर कुपूतना बन गई और अपने विष सहित स्तन उन्हें पिलाने लगी। परन्तु देवताओं से अधिष्ठित होने के कारण श्रीकृष्ण का मुख अत्यन्त कठोर हो गया था, इसलिए उन्होनें स्तन का अग्र भाग इतने जोर से चूसा कि वह बेचारी चिल्लाने लगी।। श्रीमद्भागवत के अनुसार कंस कृष्ण के नाश के लिए पूतना राक्षसी को ब्रज में भेजता है । वह बालकृष्ण को विषमय स्तन का पान कराती है । यह रहस्य श्रीकृष्ण जान जाते हैं । अतः वे स्तनपान इतनी उग्रता से करते हैं कि पूतना पीडित होकर मर जाती है । (ख) यमलार्जुनोद्धार श्रीकृष्ण बड़ी ही चंचल प्रकृति के थे । एक स्थान पर टिककर नहीं रहा करते थे । अतः परेशान होकर यशोदा उनके उदर पर पट्टे सी एक रस्सी बांध दिया करती थी । एक दिन यशोदा रस्सी बांधकर किसी आवश्यक कार्य हेतु पडौसी के घर गई । उस समय सूर्पक विद्याधर का पुत्र अपने पिता के बैर को स्मरण कर यह वसुदेव का पुत्र है- ऐसा सोचकर जहाँ श्रीकृष्ण खेल रहे थे वहाँ पर आया और विद्या के बल से दो अर्जुन जाति के वृक्षों का रूप बनाया । श्रीकृष्ण उन वृक्षों के बीच में से गये और १- “सा खेवर्येकदोपेत्य पूतना नन्दगोकुलम् । योषित्वा माययात्मानं प्रविशत्कामचारिणी ॥४॥ . बालग्रहस्तत्र विचिन्वती शिशून । ___ यदच्छया नन्दगृहेऽसदन्तकम् ॥ बालं प्रतिच्छन्ननिजोस्तेजसं । ददर्श तल्पेऽग्रिमिवाहितं भसि ॥७॥ तस्मिनस्तनं दुर्जरवीर्यमुल्वणं । घोरांकमादाय शिशोर्ददावथ ॥ गाढं कराभ्यां भगवानप्रपीड्य तत्प्राणैः समं रोषसमन्वितोऽपिबत् ।।१०।। निशाचरीत्थं व्यथितस्तना व्यसु प्दाय केशांश्चरणो भुजाबल ।। प्रसार्य गोष्ठे निजरूपमास्थिता ।। वज्राहतो वृत्र इवापतन्नृप ॥१३॥ - श्रीमद्भागवत १०/६/४ से १३ 52 • हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास
SR No.002435
Book TitleHindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1992
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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