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________________ (३) जैन ग्रन्थों तथा हिन्दी कृष्ण-साहित्य में वर्णित कृष्ण के जीवन से संबंधित प्रमुख घटनाएँ - जैन और वैदिक दोनों ही परम्पराओं के ग्रन्थों में श्रीकृष्ण के अलौकिक व्यक्तित्व और कृतित्व को बतानेवाली बाल्यकाल एवं युवावस्था की अनेक चमत्कारिक घटनाएँ लिखी हुई मिलती हैं । वे सारी घटनाएँ ऐतिहासिक ही हैं, ऐसा निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता । यहाँ हमारा उद्देश्य केवल इतना ही बताना है कि वे घटनाएँ जैन और वैदिक ग्रन्थों में किस-किस रूप में आयी हैं, इन प्रसंगों के शीर्षक जैन ग्रन्थों तथा उस पर आधारित हिन्दी जैन साहित्य के आधार पर दिये गए हैं। (क) शकुनी और पूतना-वध :____ आचार्य हेमचन्द्र रचित "त्रिषष्टिशलाकापरुष चरित्र १ एवं आचार्य मल्लधारी हेमचन्द्र रचित भव-भावना के अनुसार सुर्पक विद्याधर की पुत्रियाँ शकुनी और पूतना ये दोनों वसुदेव की विरोधिनी थीं। उन्हें किसी तरह ज्ञात हो गया था कि कृष्ण वसुदेव का पुत्र है । अतः श्रीकृष्ण को मारने के लिए वे गोकुल में आईं । शकुनी ने श्रीकृष्ण को जोर से दबाया, भय उत्पन्न करने के लिए जोर से कर्ण-कटु किलकारियाँ की, किन्तु कृष्ण डरे नहीं, अपितु उन्होने शकुनी को ही समाप्त कर दिया । पूतना ने विषलिप्त स्तन श्रीकृष्ण के मुँह में दिये, पर कृष्ण का बाल बॉका न हुआ, वह स्वयं ही निर्जीव हो गई। ___जिनसेन कृत हरिवंश पुराण तथा हिन्दी में रचित खुशालचन्द काला कृत हरिवंश पुराणानुसार एक दिन कंस के हितैषी वरुण नामक निमित्तज्ञ ने उससे कहा-राजन् । यहाँ कहीं नगर अथवा वन में तुम्हारा शत्रु बढ़ रहा है, उसकी खोज करनी चाहिए । उसके पश्चात् शत्रु के नाश की भावना से कंस ने तीन दिन का उपवास किया, देवियाँ आयीं और कंस से कहने लगी कि हम सब आपके पूर्वभव के तप से सिद्ध की हुई देवियाँ हैं । आपका जो कार्य हो वह कहिए । कंस ने कहा - हमारा कोई वैरी कहीं गुप्त रूप से बढ़ रहा है । तुम दया से निरपेक्ष हो शीघ्र ही उसका पता लगाकर उसे मृत्यु के मुँह में पहुँचाओ । उसे मार डालो । कंस के कथन को स्वीकृत कर देवियाँ चली गईं । उनमें से एक देवी शीघ्र ही भयंकर पक्षी का रूप १- (क) त्रिषष्टि. ८/५/१२३-१२६ (ख) भव-भावना गा. २२०६ से २२१०-पृ. १४७ २- हरिवंश पुराण (हिन्दी) दोहा १०४ से ११५ तक, पृ. ७५ हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास • 51
SR No.002435
Book TitleHindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1992
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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