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कीर्तन निरुपित किया गया है । गरुड पुराण:
गरूड पुराण के आचार काण्ड में कृष्ण-लीलाओं का वर्णन है । इसमे पूतना-वध, यमलार्जुन उद्धार, कालियदमन, गोवर्धन धारण, केसीचाणूर वध, संदीपनि गुरु से शिक्षालाभ आदि सभर कथाएँ संक्षेप में दी गई हैं । गोपियों का तथा कृष्ण की रुक्मिणी, सत्यभामा, आदि अष्ट पत्नियों का उल्लेख है, किन्तु राधा का नाम नहीं आया है । २३ वें अध्याय में गीता का सार भी प्रस्तुत किया है । २७ वें अध्याय में जाम्बवती के साथ कृष्ण पाणिग्रहण का वर्णन भी है । ब्रह्म पुराण :
'ब्रह्म पुराण में कृष्ण की कथा विस्तार से दी गई है । ब्रह्मपुराण में अध्याय १८० से २१२ तक में कृष्ण-चरित वर्णित है । इसमें कृष्ण की बाल एवं रासक्रीडा आदि का वर्णन किया गया है । इसके अंतिम अध्याय में आभीरों के साथ अर्जुन का युद्ध, म्लेच्छों के द्वारा यादवस्त्रीहरण, परीक्षित को राज्य देकर युधिष्ठिर का वन-गमन इत्यादि का वर्णन है। . . पद्म पुराण :
पद्म पुराण के पाताल खण्ड में कृष्ण चरित का वर्णन आया है । श्रीकृष्ण के महात्म्य का प्ररूपण ६९ वें अध्याय से ७२ वें अध्याय तक है । और ७३ से ८३ अध्याय तक वृन्दावन आदि का महात्म्य और कृष्ण लीला का वर्णन है। ___स्थानाभाव के कारण हमने यहाँ पुराणों में वर्णित कृष्ण के स्वरूप की अत्यन्त सांकेतिक रूपरेखा ही प्रस्तुत की है। किन्तु इस रूपरेखा से इतना तो स्पष्ट हो ही जाता है कि अधिकांश पुराणों में कृष्ण के विभिन्न स्वरूपों से संबंधित जो मान्यताएँ स्थापित की गई थीं, उनके कारण ही पुराणोत्तर कालीन धर्म, समाज, लोक-संस्कृति और साहित्य पर उनका व्यापक प्रभाव पड़ा है। हरिवंश पुराण :
__ यह एक वैष्णव पुराण है । तथा इसका उद्देश्य कृष्ण चरित्र का उत्कर्ष तथा उसका विस्तार करना है। सामान्यतः इसे महाभारत का खिल (ऐपिडिक्स) कहा गया है । अर्थात् महाभारत में अपूर्ण रह गई कुछ घटनाओं की पूर्ति के लिए यह एक उपसंहार भाग की तरह लिखा गया है । इसकी गणना
हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास • 16