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________________ हरिवंश पुराण में किया । जैन साहित्य पर भागवत पुराण में वर्णित कृष्णा के बाल-गोपाल स्वरूप को जो वर्णन है, उसका स्पष्ट प्रभाव दिखाई नहीं देता । वैष्णव हरिवंश पुराण ही एक ऐसा ग्रन्थ है जिसका प्रभाव जैन परम्परागत कृष्ण स्वरूप वर्णन पर पड़ा है। गोपालक नन्द के यहाँ बालक कृष्ण का ग्वाल-बालक का वेश धारण करना तथा दूध-दही का खाना-फैलाना सामान्य है । अतः कृष्ण के बालगोपाल रूप का वर्णन करते समय आचार्य जिनसेन इस तथ्य का ही अपने हरिवंश पुराण ग्रन्थ में वर्णन करते हैं । यह वर्णन भी संक्षिप्त रूप में बालक कृष्ण की क्रीडाओं का आचार्य जिनसेन ने निम्न रूप में वर्णन किया है बालक कृष्ण कभी सोता था, कभी बैठता था, कभी-कभी छाती के बल सरकता था, कभी लड़खड़ाते. पैर उठाते हुए चलता था, कभी दौड़ा-दौड़ा फिरता था, कभी मधुर आलाप करता था, कभी मक्खन खाता हुआ दिनरात व्यतीत करता था इसी एक मात्र श्लोक में कवि ने कृष्ण की शिशुक्रीड़ा का वर्णन कर दिया है । .. ___ आचार्य जिनसेन कृष्ण के गोपाल–वेश का वर्णन निम्न शब्दों में करते "जो पीले रंग के दो वस्त्र पहने था, वन के मध्य में मयर-पिच्छ की कलगी लगाए हुए था, अखण्ड नील कमल की माला जिसके गले पर पड़ी हुई थी, जिसका शंख के समान सुन्दर कण्ठ उत्तम कण्ठी से विभूषित था, सुवर्ण के कर्णाभरणों से जिसकी आभा अत्यन्त उज्ज्वल हो रही थी, जिसके ललाट पर दुपहरिया के फल लटक रहे थे। सिर पर ऊँचा मुकुट बँधा था, कलाइयों में स्वर्ण के कड़े सुशोभित थे. जिसके साथ अनेक सुन्दर गोपाल बालक थे एवं जो यश और दया भावे से सुशोभित था, ऐसें पुत्र को लेकर यशोदा ने देवकी के चरणों में प्रणाम कराया। उत्तम गोप के वेश को धारण करने वाला वह पुत्र प्रणाम कर पास ही में बैठ गया । १. श्रीकृष्ण का यह गोपाल-वेश वर्णन उल्लेख जैसा ही है । जैन कवि इसके भी विशेष विस्तार में नहीं गए हैं। बाल-गोपाल रूप वर्णन की प्रवृत्ति हिन्दी जैन साहित्य में भी रही है। (हिन्दी जैन कवियों ने भी गोप-बालक कृष्ण की दूध-दहीं खाने-फैलाने की १- हरिवंश पुराण : आचार्य जिनसेन, ३५/४३ । हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास .. 101
SR No.002435
Book TitleHindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1992
Total Pages190
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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