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________________ विसुद्धिमग्गो किलोमकेसु परिच्छन्नकिलोमकं हदयं च वक्कं च परिवारेत्वा ठितं । अप्पटिच्छन्नकिलोमकं सकलसरीरे चम्मस्स हेट्टतो मंसं परियोनन्धित्वा ठितं । तत्थ यथा पिलोतिकपलिवेठि मंसेन मंसं जानाति ' अहं पिलोतिकाय पलिवेठितं' ति, न पि पिलोतिका जानाति - 'मया मंसं पलिवेठितं' ति; एवमेव न वक्कहदयानि सकलसरीरे च मंसं जानाति - ' अहं किलोमकेन पटिच्छन्नं' ति । न पि किलोमकं जानाति - 'मया वक्कहदयानि सकलसरीरे च मंसं पटिच्छन्नं' ति । अञ्ञमञ्ञ आभोगपच्चवेक्खणरहिता एते धम्मा । इति किलोमकं नाम इमस्मि सरीरे पाटियेक्को कोट्ठासो अचेतनो अब्याकतो सुञ्ञो निस्सत्तो थद्धो पथवीधातू ति । पिहकं हदयस्स वामपस्से उदरपटलस्स मत्थकपस्सं निस्साय ठिर्त । तत्थ यथा कोट्ठमत्थकपस्सं निस्साय ठिताय गोमयपिण्डिया न कोट्ठमत्थकपस्सं जानाति - 'गोमयपिण्डि मं निस्साय ठिता' ति, न पि गोमयपिण्डि जानाति - ' अहं कोट्ठमत्थकपस्सं निस्साय ठिता' ति; एवमेव न उदरपटलस्स मत्थकपस्सं जानाति - 'पिहकं मं निस्साय ठितं' ति; न पि पिहकं जानाति — ' अहं उदरपटलस्स मत्थकपस्सं निस्साय ठितं' ति । अञ्ञमञ्चं आभोगपच्चवेक्खणरहिता एते धम्मा । इति पिहकं नाम इमस्मि सरीरे पाटियेक्को कोट्ठासो अचेतनो अब्याकतो सुञ निस्सत्तो थद्धो पथवीधातू ति । फम्फासं सरीरब्भन्तरे द्विनं थनानमन्तरे हदयं च यकनं च उपरि छादेत्वा ओलम्बन्तं ठितं । तत्थ यथा जिणकोट्ठब्भन्तरे लम्बमाने सकुणकुलावके न जिण्णकोट्ठब्भन्तरं जानाति - 'मयि सकुणकुलावको लम्बमानो ठितो' ति, न पि सकुणकुलावको जानाति - ' अहं २४० क्लोम – प्रतिच्छन्न (छिपा हुआ) क्लोम हृदय एवं वृक्क को घेरकर स्थित है। अप्रतिच्छन्नक्लोम पूरे शरीर के चर्म के नीचे मांस को बाँधे हुए स्थित है। जैसे कि मांस को यदि किसी कपड़े के टुकड़े में लपेट दिया जाय, तो मांस नहीं जानता- 'मैं कपड़े के टुकड़े में लपेटा हुआ हूँ', न कपड़े का टुकडा जानता है- 'मुझसे मांस लपेटा गया है'; वैसे ही न तो वृक्क, न हृदय और न समस्त शरीर का मांस जानता है- 'मैं क्लोम द्वारा घिरा हुआ हूँ' - न ही क्लोम जानता है— 'मेरे द्वारा हृदय, वृक्क एवं समस्त शरीर का मांस घिरा हुआ है।' ये धर्म परस्पर... पूर्ववत् । यों, क्लोम पृथ्वी धातु है। प्लीहा - प्लीहा (तिल्ली ) हृदय के बायीं ओर, उदर पटल के ऊपरी पार्श्व के सहारे स्थित है। जैसे यदि खलिहान (अनाज, भूसा आदि रखने की कोठरी) के भीतर ऊपर की ओर उपला (गोबर का कण्डा) रखा हों, तो खलिहान का ऊपरी भाग नहीं जानता - 'उपला मेरे सहारे स्थित है', न उपला जानता है— 'मैं खलिहान के ऊपरी भाग के सहारे स्थित हूँ'; वैसे ही न तो उदरपटल जानता है - प्लीहा मेरे सहारे स्थित है', न ही प्लीहा जानता है- 'मैं उदर-पटल के ऊपरी पार्श्व के सहारे स्थित हूँ।' ये धर्म परस्पर... पूर्ववत्... । यों प्लीहा पृथ्वीधातु है। फुफ्फुस - (फेफड़ा) शरीर के भीतर दोनों स्तनों के बीच, हृदय एवं यकृत को ऊपर से ढँके हुए, लटकता हुआ स्थित है। जैसे यदि किसी जीर्ण (पुराने समय में बने हुए) खलिहान के भीतर पक्षी का घोसला लटक रहा हो तो वह जीर्ण खलिहान नहीं जानता- ' - 'मुझमें पक्षी का १. कोट्ठमत्थकपस्सं ति । कुसूलस्स अब्भन्तरे मत्थकपस्सं ।
SR No.002429
Book TitleVisuddhimaggo Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDwarikadas Shastri, Tapasya Upadhyay
PublisherBauddh Bharti
Publication Year2002
Total Pages386
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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