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पिसाय भूय जक्ख रक्खस किंनर किंपुरिसमहोरग गंधव्वा ॥ प्रश्न व्याकरण अ०५ सूत्र १६ ।। मढ़ विधा वाणमंतरा देवा पं० तं० पिसाया भूता क्खिा रक्खसा किन्नरा किंपरिसा महोरगा मंधव्वा ॥ ठाणंग सूत्र स्थान ८ उद्देश ३ ( सू० ६५४ ) पिसायभूया जक्खा य रक्खसा किन्नराय किं परिसा महोरगा य गंधव्वा अदविहा वाणमंतरिया-देविंद थ० गा० ६७ । त० अ० ८ सू० १ से इस पाठ का सम्बन्ध है ।
अज्झत्थहेउं निययस्स बंधो संसारहेउं च षयंति बंधो--उत्तराध्ययन सू० अ० १४ काव्य १६ ॥
त० अ० ५ स८ ४ से इस पाठ का सम्बन्ध है।
कतिविहेणं भते बंधे पराणते ? गोयमा दुविहे बंधे पराणत्ते, तं जहा- इरियावहियबंधे य । सम्पराइय बंधेय । व्याख्या प्रज्ञप्ति शतक ८ उ०८॥
तत्त्वार्थ अ०६ सू० ३४ व ३५ से सम्बन्ध है।