________________
( २५४ )
आ रौद्रं भवेदत्र, मन्दं धर्म्यं तु मध्यमम् । षट्कर्म प्रतिमा श्राद्ध व्रत पालनसंभवम् ॥ २५ ॥ अस्तित्वात् नो कषायाणामत्रार्तस्येव मुख्यता । आज्ञाद्यालंवनोपेत-- धर्मध्यानस्य गौणता
-- गुण स्थान कमारोहण त० सूत्र अ० ५ सूत्र ३६ से इस पाठ का सम्बन्ध है. से किं तं बंधणपच्चइए २ जरण परमाणुपोग्गला दुपएसिया तिपएसिया जावदस पएसिया संखेज परसिया असंखेज पएसिया प्रांत पएसियाणं खंधाणं वेमाय निद्धयाए बेमाय लुक्खयाए वेमाय निद्ध लुक्खयाए एवं बंधण पच्चइएणं बंधे समुप्पज्जइ जहरणेणं एक्कंसमयं उक्कोसेणं असंखेजं कालं सेत्तं वंधण पच्चइए ॥ व्याख्याप्रज्ञप्ति
श०८ उ० ६
त० सूत्र अ० ३ सू० १०-११ से इस पाठ का सम्बन्ध है इहेव जंबूद्दीवे दीवे सत्त वासहर पव्वया पं०