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(१०) महानुभाव हमें अवश्य सूचित करें ताकि इस ग्रन्थ की आगामी आवृत्ति में उसका प्रबन्ध किया जावे । आशा है सज्जन पुरुष हमारे इस कथन पर अवश्य ध्यान देंगे।
श्री श्री श्री १००८ आचार्यवर्य श्री पूज्यपाद मोतीराम जी महाराज, उनके शिष्य श्री श्री श्री १००८ गणावच्छेदक तथास्थविरपदविभूषित श्री गणपतिराय जी महाराज, उनके शिष्य श्री श्री श्री १०८ गणावच्छेदक श्री जयरामदास जी महाराज और उनके शिष्य श्री श्री श्री १०८ प्रवर्तकपदविभूषित श्री शालिगराम जी महाराज की ही कृपा से उनका शिष्य मैं इस महत्त्वपूर्ण कार्य को पूर्ण कर सका हूँ।
गुरुचरणरजः सेवी जैनमुनि उपाध्याय आत्माराम