________________ स्परिगहा ते चैव हिस्साए बमचेरंवमिस्सामी, कस्स हं हेठ 1, जहापुल्बलहा अवरंज्हा अवरंतहा पुळलं अंजू बैते अणुजरया अणुबविद्या पूणरविलारिसवाचवा --------- ------------ --- - -.... ........ ........................... - .....जखल गारस्य सारंभासपरिग्गहा, संतालिया समण माहणावि सारंभा सपरिग्गहा। दुहती वि पाइं संखाए दोहि वि अलैहि अदिस्समाणे हि इति भिकरवू घरीएका / - -------------------- से बैमि पाईर्ण वा एक एवं से परिणातकम्मे, एवं ....से 'ववेयकम्मे, एवं से वियंलकारए भवतीलिमक्खातं // 14 // .... . .... .. . .... . . ............. . ................................................... ...... 49.1. इह खलुगारल्था मारेभाशारिवगहा,आरंभा पचण-पाचादी हिंसा प्रवृत्तिः, परिगाही खेत चल्थुहिरवणादिासंगतिया समणा पंचाच,माहणा द्विजाआिह-गणुगारत्यागहीण द्विजातयो गहिला?, उच्यते-के-- सिविना घर-दारं पयहिण समाई तित्यासावणाई आहिंडसि,मिगवारियादिचरंति,समणौवासमा वा ते सु अविरतत्वाता जैइमै लस-टावरा पाणा से कन्सर्य पयण-पायणादिस बढमाणासमारंभति अण्णेहि समारंभा३ति- उद्देसियभीडशो पुण भण्णे समारंभते समणुजाति। --किंञ्चान्यत्- जे इमे काम-भोगगा सद्द-रूवा कामा, गंध-रस-फासाभोगा, तदुपकारिषुद्रीषु काम भोगोपचारं कृत्वाऽपदिश्यन्ते ले सथं पशिशण्हंति वणिय- करिसादयो, इस्सरपुरिसा परिगिण्हावेंति परिगिहिन्से व