________________ जहाय भिकरवायरियाए समुट्ठिला -----------पुत्वमेव लेहिं जातं भवति, लं जहा-इह खलु पुरिस अण्णमण्णं मम अट्टाए एवं विपरिवेदेति, महा-खेत मवत्थु मे हिरणं मे सुवर्ण मेधणं मे धण्णं में कसं मै दूस मै विपुनधण-कणा-श्यण-मणि-मोतिय-संव-सिलप्पवाल-स्तरयण-संत सारसावतजं मे सहा मे रूवा मगंधा मे रसा मै फासा मे,एसे कामभोगा अहमविएसेसि - --- से मेधावी पुवामैव अप्पणा एवं समभिजाणेजा,तं जहा-इह रखनु मम अण्णयरे दुक्खे शेयांत के समू ज्जेज्जा अपिण्डे अर्कतै अप्पिए असुभे अमणुन्ने अमणाम दुक्रदै णो सुहै, से हताभयंतारी काम-भोगा ! इममम अण्णासरं टुक्रवं रोयातकं परियाइयह अणिहँ अर्कतं अपिर्य असुभ अमणुन ममणामं दुक्खं गौ सुहं नाहं डक्वामिवासोयामिवाजूरामि वातिप्पामि वा - पिडामि वा परितप्यामि वा, इमाभी मै अण्णलराभी दुक्खाओ रोगालंकाभी पडिमीयह अणिढाओ अकेताओ अप्पियामी असुभाभी भमणु-- साओ अमणामाऔ टुक्रवाभी गो मुहामी! -- --------- ---- एवामेव जी लद्धपो भवति इह खलु काम-भौगाणी लाणाए बासरणाए वा,पुरिसे वा एता पुब्धि कास-भागे विपाजहति, काम-भोगेगा वा एगला पुब्बिं पुरिसं विपनहेति, अण्णे खलु काम-भीगा अण्णी अहमसि, से किया।