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________________ सवातं॥----- - अहावरं पुरवसायं इहालिया सत्ता रुक्रवजोणिया रुकवसंभवा रुक्खवकमालज्जीणिया तस्संभवा सबकमा क मोवा कम्मनिदाणेणं तस्य क्या पुठवीजाणिएहिं करवेहि रुक्रवत्ताए विउदृलि, ते जीवा तेसिं पुढतीजोणियाणं रुक्रवाणं -- सिणेहमाहारेति,ते जीवा आहारेति पुठवीसरीरं आउ० ते उन्वाउ० वणस्सइसरीरं जाणाविहाणं तमन्थावराणं पाणण सरारं अचित्तं कव्यंलिपशिविद्वत्वं तं सरीरगं पळाहारियलयाहारियं विप्परिणामियं सारुविकर्ड संतं अवर वियण सिं रुक्खजीणियाणं सक्खाणं सरीराणाणावणाणाणा जाणारसा जाणाफासा संठाणसंठिया जाणाविहसरीरपुरगलविउविया जीवा कम्मोववनगा भवतीति मक्खायं // - अहावरं पूरक्वायं इगलिया सत्तारुख जोणियारुक्खसंभवा रुक्रवकता तज्जीलिया सरसंभवा तव्वतमा कम्मोवा कामाणिवाणेणं तस्य वनामा रुकवजो जिएसुरुक्रवक्षाए विउईति,तेजीषा तसिं रुक्खजोणियाण रुक्मणं सिणेहता हारेति, ते जीवा माहारेति पुढविसरी आउ तेउवाउ वार वणस्स इसरीर लस-थावराण पाणाण सरीरं अचित्तं कुवंति, परिविजय तं सरीगं पुवाहारियं स्याहारियं विपरिणयं सारुविकर्ड संचितवंड) अवरे वियण तेसिं रुखजीणियाण रुक्खार्ण स -'राराणा णावण्णा जाव तेजीबा कम्मीववाण भवतीति मक्खायं / /
SR No.002426
Book TitleSutrakritanga Churni
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages284
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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