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________________ ज्वरचिकित्सा। १-सोंठ, मोथा, दुरालभा, गिलोय । २-चिरायता, दुरालभा, मोथा, पित्तपापड़ा । ३-अडूसाछाल, सोंठ, धन्वयासक (दुरालभा, धमासा)। ये तीनों क्वाथयोग क्रमशः वातज, पित्तज एवं कफज ज्वर के नाशक हैं ॥ १०५॥ इदानीं सर्वज्वराणां सामान्येन विश्वादिकं योगमाह विश्वामृतावासककण्टकारिकापलं पलैः षोडशभिर्जलस्य । क्वाथीकृतं तचरणावशेषितं सपिप्पलीचूर्णमिदं ज्वरापहम् ।। १०६ ॥ इदं विश्वादीनां पलं ज्वरापहम् । चतुर्णा विश्वादीनां प्रत्येक कार्षिकै गैः पलं षोडशभिर्जलस्य उदकस्य पलैः काथं कृत्वा तच्चरणावशेषितं पादावशेषं चत्वारि पलानि क्वाथस्य । सपिप्पलीचूर्ण, सह पिप्पल्याः चूर्णकर्षेण युक्तमिदं ज्वरापह भवति । ज्वरं सामान्यश्रत्या सर्ववातादिज्वरमपहन्तीति । इयमेव प्रासनतन्त्रयुक्त्या अन्येषामपि पातव्यकषायाणां अनुक्तद्रव्योदकावशेषप्रमाणानां परिभाषाङ्गीक्रियते । तेन समस्तद्रव्याणां पलं प्रस्थेन तोयस्य प्रक्वाथ्य पादावशेषा अञ्जलिः पातव्येति । तथा च तन्त्रान्तरम्—'पयो भागादिके क्वाथः पेयश्च स्याश्चतुःपलम् । शीतस्वरसयोरेष विधिशेयः कषाययोः ॥ भेषजात् षोडशगुणे जले क्वाथ्यं पलं मतम् । पादशेषं पिबेत्तद्धि स्नेहक्काथो ऽन्यथा भवेदिति' ॥ १०६॥ सोंठ, गिलोय, अडूसाछाल, छोटीकटेरी; मिलित १ पल । काथार्थ जल १६ पल । इन्हें एकत्र एक नवीन मृत्पात्र में डाल कर पकावें । जब ४ पल जल शेष रह जाय तब उतार कर छान लें और यथानियम क्वाथ्य द्रव्यों से चतुर्थोश पिप्पलीचूर्ण का प्रक्षेप देकर रोगी को सेवन करावें। आजकल के अनुसार यह मात्रा बहुत अधिक है । आजकल “गृहीत्वा दशरक्तिक-माषाष्ट-तोलकद्वयम् । दत्त्वा षोडशिकं वारि ग्राह्यं पादावशेषितम् ।" इस परिभाषा के अनुसार क्वाथ किया जाता है। जिसका भावार्थ यह है कि १० रत्ती-१ मासा, ८ मासा-१ तोला; इस मान के अनुसार २ तोला क्वाथ्य द्रव्य को १६ गुने अर्थात् ३२ तोले जल में डाल कर पकावें। जब जल चतुर्थाश अर्थात् ८ तोले रहजाय तो उतारकर निर्मल वस्त्र से छानलें। प्रक्षेप के नियम के अनुसार पिप्पलीचूर्ण का प्रक्षेप आधा तोला आता है परन्तु इस के तीक्ष्णवीर्य होने के कारण २ रत्ती मात्रा में ही प्रक्षेप देना उपयुक्त होगा। यह काथ ज्वरनाशक है ॥ १०६ ॥
SR No.002391
Book TitleChikitsa Kalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendranath Mtra
PublisherMitra Ayurvedic Pharmacy
Publication Year
Total Pages274
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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