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________________ (१७ ) यहाँ पर एक यह भी विचारने की बात है कि-एक पक्षी को मारनेवाला एकही जीव का हिंसक नहीं है किन्तु अनेक जीवों का हिंसक है। क्योंकि जिस पक्षीकी मृत्यु हुई है, यदि वह स्त्री जाति है और उसके छोटे २ बच्चे हैं तो वह माँ के मरजाने से जीही नहीं सकते, फिर उन सबके मरजाने से घोर पापकर्म का बन्ध मारने वाले को होगा । इसलिए कर्मबन्धन होने से पहिले ही बुद्धिमान पुरुषों को चेतना चाहिए । __ अब दूसरी बात यह रही कि-हिंसा न करने पर भी कितनेही लोग जो पक्षियों को पींजरे में बन्द करते हैं उसमें भी भारी कर्मबन्ध होता है, अर्थात् जो लोग जङ्गल से नये २ पक्षियों को पकड़वाने में हजारों रुपया खर्च करते हैं और उनके खाने पीने के लिए अनर्थ भी करते हैं, उन शौकीन और धनाढय लोगों को समझना चाहिए कि पक्षियों की वनविषयक स्वतन्त्रता को भङ्ग करके कैदी की भाँति पींजरे में डालकर और अधर्म की धर्म मानकर जो यह समझते हैं कि हम पक्षियों को दाना चारा अच्छा देते हैं और दूसरों के भय से मुक्त रखते हैं और बाजार में बिकते हुए जीवोंको केवल जीवदयाही से मोल लेकर रक्खा है, सो यह उनका समझना बिलकुल असत्य है; क्योंकि यदि उनको भी कोई उनके कुटुम्ब से अलग करके बंधन में डालकर अच्छा भी खाना पीना दे तो क्या वे उसे अच्छा मानेंगे ? और जो बाजार में पक्षी बिकने आते हैं उन्हें यदि कोई न खरीदे तो बेचनेवाले कभी नहीं ला सकते; क्योंकि मांसाहारी वैसे २ पक्षियों का मांस प्रायः नहीं
SR No.002390
Book TitleAhimsa Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1923
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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