SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ९६ ) काल को मारने के लिये कुरान में सूचना दी है उसका बहुत से आधुनिक मुसलमान लोग तो सर्प, बीहू व्याघ्रादि अर्थ करते हैं इसलिये उन जीवोंके मारने के लिये सभी बालक से लेकर वृद्ध पर्यन्त यत्न किया करते हैं, किन्तु वास्तविक में काल से क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष आदि का ही महात्माओं ने ग्रहण किया है, इसलिये उन्हींको मारना चाहिये | क्योंकि पक्के शत्रु आत्मा के वेही हैं, सर्पादि उस प्रकार के तो नहीं हैं । क्योंकि सर्पादि के मारने से काल का मारना नहीं गिना जासकता है । कदाचित् यह कहा जाय कि वे अपने सुख के लिये ही मारे जाते है सो भी ठीक नहीं हैं, क्योंकि जिस जगह पर जितने ही जहरीले जीव मरते हैं, वहां पर उतनेही वे ज्यादा पैदा होते हैं । इसलिये गुजरात देश में प्रायःकरके कोई भी हिन्दू सर्प बीछू नहीं मारता, किन्तु मारनेवालों में केवल मुसलमान ही दिखाई पड़ते हैं, इसलिये वहाँ पर वे जीव बहुत कम उत्पन्न होते हैं । यदि मुस लमान भी नहीं मारते होते तो सर्प बोछू आदि का गुजरात में बिलकुल ही डर न होता । पूर्वदेश, बङ्गाल और मगध आदि देशों में तो ब्राह्मण भी सर्प, बीछु, आदि जीवों को मारने में जरा भी पाप, अथवा अपवाद नहीं मानते, जैसे ही जीव दृष्टि में आया कि तुरन्त मार डालते हैं । यद्यपि समस्त देश के कुछ न कुछ मनुष्य उन्हें मारते ही है किन्तु गुजरात की अपेक्षा कई गुने अधिक इस देश में सर्प बीछू आदि जीव देखने मे आते हैं; उसका कारण यही है कि जिस
SR No.002390
Book TitleAhimsa Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1923
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy