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________________ ही मालूम होगी । किन्तु कालान्तर में दयारहित पुरुर्षों के मन में अनेक कल्पनाएँ उत्पन्न हुई, इसलिये उन्होंने ही अर्थ का अनर्थ करडाला । क्योंकि महाभारत में ऋषियों ने अज शब्द का अर्थ तीन वर्ष का पुराना धान ही माना है, यह बात पहिले भी कही जा चुकी है । यद्यपि अनेक कविलोग बलिदान शब्द को लेकर नयी नयी कल्पनाएँ करके हजारों जाति के जीवों के पक्के शत्रु (दुश्मन ) बन गये हैं; किन्तु वास्तव में बलिदान शब्द का तो यह अर्थ है कि-बलि याने नैवेद्य का दान करना, जिससे हजारों गरीबों के पेट भरें, और वे लोग आशीर्वाद दें, जिससे अपनी कामना पूर्ण हो, न कि दूसरे के प्राण की हिंसा हो; किन्तु जो लोग ऐसा न करके देव देवियों को बकरा मार कर संतुष्ट करना चाहते हैं वे तो प्रत्यक्ष ही अन्याय करते है । ___बकरीद के रोज मुसलमान लोग व्यर्थही असङ्ख्य जीवोंके प्राण ले लेते हैं। यदि खुदाके नामसे उनके किसी सच्चे फकीर से पछा जाय तो वह अपने धर्मशास्त्र से भी इसे अन्याय ही कहेगा । क्योंकि जब खुदा दुनियां का पिता है तब दुनियां के बकरी, ऊंट, गौ वगैरह सभी प्राणियोंका वह पिताही हुआ,तो फिर वह खुदा अपने किसी पुत्र के मरने से खुशी किस तरह होगा ? अगर होता है तो उसे पिता कहना उचित नहीं है । और विचारदृष्टि से भी देखिये कि मुसलमान लोग जो एकही दातून को बहुत दिन अपने काम में लाते हैं उसका कारण भी यही है कि जहांतक हो दातून के लिये भी नयी २ वनस्पति को न काटना पड़े। अब रहा यह कि जो
SR No.002390
Book TitleAhimsa Digdarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1923
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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