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________________ गणपाठे चतुर्थोऽध्यायः। ४४७ ११ बल चुल नल दल वट लकुल उरल पुस्ख ( पुल ) मूल उलड्डुल ( उल डुल ) वन कुल ॥ इति बलादिः॥४९॥ १२ पक्ष तुक्ष तुष कुण्ड अण्ड कम्बलिका वलिक चित्र अस्ति । पथः पन्थ च । कुम्भ सीरक सरक सकल सरस समल अतिश्वन् रोमन् लोमन् हस्तिन् मकर लोमक शीर्ष निवात पाक सहक (सिंहक) अङ्कुश सुवर्णक हंसक हिंसक कुत्स बिल खिल यमल हस्त कला सकर्णक ॥ इति पक्षादिः ॥५०॥ १३ कर्ण वसिष्ठ अर्क अर्कलुष द्रुपद आनडुह्य पाञ्चजन्य स्फिग् (स्फिज ) कुम्भी कुन्ती जित्वन् जीवन्त कुलिश आण्डीवत् (आण्डीवत) नैव जैत्र आकन ( आनक ) ॥ इति कर्णादिः॥५१॥ १४ सुतंगम मुनिचित विप्रवचित महाचित्त महापुत्र स्खन श्वेत गडिक (खडिक ) शुक्र विन बीजवापिन् ( बीज वापिन् ) अर्जुन श्वन् अजिर जीव खण्डित कर्ण विग्रह ॥ इति सुतंगमादिः ॥५२॥ १५ प्रगदिन् मगदिन् मददिन् कविल खण्डित गदित चूडार भडार मन्दार कोविदार ॥ इति प्रगद्यादिः॥५३॥ १६ वराह पलाशा (पलाश ) शेरीष (शिरीष ) पिनद्ध निबद्ध बलाह स्थूल विदग्ध [विजग्ध ] निमग्न [ निभग्न ] बाहु खदिर शर्करा ॥ इति वराहादिः ॥५४ ।। १७ कुमुद गोमथ रथकार दशग्राम अश्वत्थ शाल्मलि [ शिरीष ] मुनिस्थल कुण्डल कूट मधुकर्ण घासकुन्द शुचिकर्ण ॥ इति कुमुदादिः॥५५॥ ११७ वरणादिभ्यश्च ।४।२।८२ ॥ वरणा शृङ्गी शाल्मलि शुण्डी शयाण्डी पर्णी ताम्रपर्णी गोद आलिङ्गययान जालपदी (जानपदी) जम्बू पुष्कर चम्मा पम्पा वल्गु उज्रयिनी गया मथुरा तक्षशिला उरसा गोमती वलभी ॥ इति वरणादिः ॥५६॥ ११७ मध्वादिभ्यश्च ।४।२।८६ ॥ मधु बिस स्थाणु वेणु कर्कन्धु शमी करीर हिम किशरा शर्याण मरुत् वार्दाली शर इष्टका आसुति शक्ति आसन्दी शकल शलाका आमिषी इक्षु रोमन् रुष्टि रुष्य तक्षशिला कड वट वेट ॥ इति मध्वादिः ॥ ५७॥ ११७ उत्करादिभ्यश्छः ।४।२।९० ॥ उत्कर संफल शफर पिप्पल पिप्पलीमूल अश्मन् सुवर्ण खलाजिन तिक कितव अणक त्रैवण पिचुक अश्वत्थ काश क्षुद्र भस्वा शाल जन्या अजिर चर्मन् उत्क्रोश शान्त खदिर शूर्पणाय श्यावनाय नैवाकव तृण वृक्ष शाक पलाश विजिगीषा अनेक आतप फल संपर अर्क गर्त अग्नि वैराणक इडा अरण्य निशान्त पर्ण नीचायक शंकर अवरोहित क्षार विशाल वेत्र अरीहण खण्ड वातागार मन्त्रणाह इन्द्रवृक्ष नितान्तवृक्ष आर्द्रवृक्ष ॥ इत्युत्करादिः ॥५८॥
SR No.002377
Book TitleVaiyakaran Siddhant Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudev Lakshman Shastri
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1938
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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